Sunday, August 02, 2009

घरेलू महिला


घरेलू महिला,

कुछ उल्टे, कुछ सीधे

फंदों के बीच

फँसी एक सलाई ...



जिसके बिना

स्वेटर की उत्पत्ति संभव नहीं,

पर फिर भी

जिसका कोई अधिकार नहीं

स्वेटर के रंग, आकार और डिजाईन पर .

27 comments:

ओम आर्य said...

ek maanwiya dard ubharta hai aapake is sidhe sapat rachana me....sundar

ghughutibasuti said...

आपकी बात से पूरी तरह सहमत हूँ। किन्तु क्या अधिकार कभी यूँ ही मिलते हैं? छीनने पड़ते हैं। रंग, डिजाईन, आकार सब खुद चुनिये और यह भी कि स्वैटर बुनना है या नहीं।
घुघूती बासूती

admin said...

Bahut gahree baaten kah rahee hai ye rachna.
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }</a

sandhyagupta said...

Achcha likhti hain aap.Shubkamnayen.

डा0 हेमंत कुमार ♠ Dr Hemant Kumar said...

मीनू जी ,
इतनी गहन सोच वाले मुद्दे पर ..इतने कम शब्दों में अभिव्यक्ति ...बहुत अच्छा लगा पढ़कर .
हिंदी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत करते हुए खुशी हो रही है.
हेमंत कुमार

दिगम्बर नासवा said...

वाह कितना लाजवाब, कितना सार्थक लिखा है........ लाजवाब .....अच्छा लिखा है .स्वागत है आपका

shama said...

Kitna sahee kaha aapne..!

http://shamasansmaran.blogspot.com

http://kavitasbyshama.blogspot.com

http://lalitlekh.blogspot.com

http://shama-kahanee.blogspot.com

http://shama-baagwaanee.blogspot.com

http://aajtakyahantak-thelightbyalonelypath.blogspot.com

Shashi Kant Singh said...

वाह आप ने इतने कम शब्दों में एक बहुत बड़ी बात कह दी है. अच्छा लगा.........

Amit K Sagar said...

सुन्दर अभिव्यक्ति. जारी रहें.

----
कृपया यहाँ भी विजिट करें.

ultateer.blogspot.com
mauj-e-sagar.blogspot.com

amar barwal 'Pathik' said...

लाजवाब। गागर में सागर लिये ये पंक्तियां बहुत कुछ सोचने पर मजबूर कर देती हैं बधाई।

डॉ महेश सिन्हा said...

कर दी आपने धुलाई

M VERMA said...

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
बेहतरीन रचना

कृषि समाधान said...

Women is the best half not the better half. Beleive me!!!
Chandar Meher
avtarmeherbaba.blogspot.com
www.trustmeher.org
lifemazedar.blogspot.com
kvkrewa.blogspot.com

रवि कुमार, रावतभाटा said...

बेहतर है...

Dr.R.Ramkumar said...

उंगलियां बुन रहीं हैं ख्वाब किसी के मन का
फिर किसी बात पै रह रह के लजाना क्या है ।।

-सलाइयों पर चलती हुई उंगलियों पर कभी यह शेर और फिर गजल बनी आपकी रचनासे उसकी याद आई
मजबूती के साथ आगे बढ़ें
http://anubhutiyanabhivyaktiyan.blogspot.com

virendra sharma said...

gharelu mahilaa ek rare commoditi hai ab ,kaam kazi use nikhattu samajhti hain ,kya mazaak hai ,jivan to usi ka hai belaag ,nis svaarth salaai saa jo jivan ke rupaakaar bunti hai ,ulte sidhe fande ,jivan ke gorakh dhandhe se dur bahut dur rahten hain ,belaus ,veerubhai

Chandan Kumar Jha said...

आपकी सारी रचनायें एक से एक ...बेहतरीन है.....आभार.

चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है.......भविष्य के लिये ढेर सारी शुभकामनायें.

गुलमोहर का फूल

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

bahut hi sunder abhivyakti..........

Regards............

डिम्पल मल्होत्रा said...

kuch hi shabdo me boht kuch bun diya....sunder...

संजीव गौतम said...

बहुत सही वास्तवा में अभी भी महिलाओं की स्थिति इससे ज़्यादा इतर नहीं है. बडे सलीके से आपने अभिव्यक्ति दी है आपने. पुरुष भी क्या करे संस्कारों में इतना अहम मिल जाता है कि लाख कोशिश के पश्चात भी जता ही देता है. खैर परिवर्तन आया है और भी आयेगा-

अनवारुल हसन [AIR - FM RAINBOW 100.7 Lko] said...

दर्द की इस दोहरी मार पर बरबस ही याद आ गया:
चलती चाकी देख कर दिया कबीरा रोये,
दो पाटन के बीच में साबुत बचा न कोए
आज पुरुषों की स्थिति भी कमोबेश अच्छी नहीं है, फ़र्क सिर्फ इतना है के उन्हें खुले आम आँसू बहाने का अधिकार भी नहीं मिला...

Meenu Khare said...

सही बात कही है अनवार! आज वक़्त की मार पुरुषों पर भी है .
कोशिश करिए की एक रचना इस विषय पर आप लिखें या फिर वो सभी लोग जो इस टिप्पणी को पढ़ रहे है वो भी ऐसी कोशिश करें तो एक अच्छी पहल होगी . मेरे ब्लॉग पर पधारे सभी सुधिजनो का बहुत धन्यवाद .

Sudeep Dwary said...

बहुत सटीक लगा. आपकी कविताओं के बारे में बेशक कहा जा सकता है - देखन में छोटन लगे घाव करे गंभीर. लेकिन स्थिति बदलनी शायद शुरू हो गयी है. May be its too few and far between and it may take a long time to undo these things.

Apanatva said...

ati sunder

Prashansa said...

एकदम सही! बहुत गहिरी बात कह दी आपने!

संगीता पुरी said...

बहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्‍लाग जगत में स्‍वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्‍दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्‍दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्‍त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।

Satish Saxena said...

बहुत बढ़िया

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