Sunday, February 28, 2010

देख बहारें होली की






जब फागुन रंग झमकते हों
तब देख बहारें होली की

परियों के रंग दमकते हों
खूँ शीशे जाम छलकते हों
महबूब नशे में छकते हों
तब देख बहारें होली की

नाच रंगीली परियों का
कुछ भीगी तानें होली की
कुछ तबले खड़कें रंग भरे
कुछ घुँघरू ताल छनकते हों
तब देख बहारें होली की

मुँह लाल गुलाबी आँखें हों
और हाथों में पिचकारी हो
उस रंग भरी पिचकारी को
अंगिया पर तककर मारी हो
सीनों से रंग ढलकते हों
तब देख बहारें होली की

जब फागुन रंग झमकते हों
तब देख बहारें होली की

- नज़ीर अकबराबादी








बहुत दिन बाद कोयल
पास आकर बोली है
पवन ने आके धीरे से
कली की गाँठ खोली है.

लगी है कैरियां आमों में
महुओं ने लिए कूचे,
गुलाबों ने कहा हँस के
हवा से अब तो होली है.

-त्रिलोचन





गले मुझको लगा लो ए दिलदार होली में
बुझे दिल की लगी भी तो ए यार होली में.

नहीं यह है गुलाले सुर्ख़ उड़ता हर जगह प्यारे,
ये आशिक ही है उमड़ी आहें आतिशबार होली में.

गुलाबी गाल पर कुछ रंग मुझको भी जमाने दो,
मनाने दो मुझे भी जानेमन त्योहार होली में.

है रंगत जाफ़रानी रुख़ अबीरी कुमकुम कुछ है,
बने हो ख़ुद ही होली तुम ए दिलदार होली में.

रसा गर जामे-मय ग़ैरों को देते हो तो मुझको भी,
नशीली आँख दिखाकर करो सरशार होली में.

-भारतेन्दु हरिश्चन्द्र


Monday, February 22, 2010

सूरज और माचिस






सूरज की लपटों से

मैं निकाल लाई

अपना घरौंदा सुरक्षित,


अब माचिस की इक तीली

मेरा आशियाना जलाने को है.

Sunday, February 14, 2010

प्यार का वायरस





(वैलेंटाइन-डे पर विशेष)


तुम्हारे प्यार के वायरस
के अटैक से
सुनहला ज़ुकाम हो गया है
मेरे मन को


और

बार-बार आने वाली
मेरी छींकों की आवाज़ से
गूँजने लगी है दुनिया
सच कहते है न
प्यार छुपाए नहीं छुपता!!!

Sunday, February 07, 2010

तिनका-तिनका बिखर कर




यह सच है

कि जब भी मेरे अपनों ने

मेरे बहुत अपनों ने आघात किया

तिनका-तिनका बिखर गई मैं

अनगिनत दिशाओं में

और

अनगिनत दर्द उपजे

मेरे मन के अनगिनत कोनों से...



पर यह भी सच है

कि

जहाँ-जहाँ गिरे

यह अनगिनत तिनके

हमेशा ही अंकुर फूटे

नए-नए पौधों के...



सृष्टि रचने की अपनी

शक्ति और क्षमता का

अहसास हुआ मुझे

तिनका-तिनका बिखर कर

तुम्हारे आघात लगने के बाद ही.

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