Wednesday, December 30, 2009

स्पेलिंग-मिस्टेक





अहसास के डिक्टेशन में

फ़ेल किया गया उसे

तृप्ति की स्पेलिंग

ग़लत लिखने के कारण.


ग़लती उसकी नहीं

उसकी टीचर की थी--

ज़िन्दगी की वर्क-बुक में

प्रैक्टिस करवाई गई थी उसे

भूख लिखने की लगातार.

17 comments:

श्यामल सुमन said...

बहुत कुछ कह गयीं मीनू जी आप इस छोटी सी रचना में। वाह।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com

Mithilesh dubey said...

बहुत ही खूबसूरत रचना।

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

दी.... नमस्ते.... बहुत इमोशनल कविता है.... दिल को छू गई.....

आपको नव वर्ष की अग्रिम शुभकामनायें...

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

वाह, गूढता से परिपूर्ण रचना !

Arvind Mishra said...

अद्भुत शिल्प की सारगर्भित कवितायें लिख रही हैं आप इन दिनों -क्या खूब !

Kamlesh Sharma said...

बहुत खूब कहा । गागर में सागर ।

मथुरा कलौनी said...

कुछ ही पंक्तियों में बहुत कुछ कह डाला।

Himanshu Pandey said...

बेहद सार्थक कविता | बहुत कुछ स्पष्ट कर गईं आप इस कविता के बहाने | तृप्ति की स्पेलिंग नहीं आती बहुतों को | आभार |

दिगम्बर नासवा said...

कुछ लाइनों में इतिहास लिख दिया आपने ..... लाजवाब बिंब संजोए हैं ..... भूख का दस्तावेज़ है यह रचना ........

शब्द सितारे... said...

बहुत खूब
hapyy new year 2010

डा0 हेमंत कुमार ♠ Dr Hemant Kumar said...

ज़िन्दगी की वर्क-बुक में
प्रैक्टिस करवाई गई थी उसे
भूख लिखने की लगातार.

बहुत ही सशक्त पंक्तियां--वैसे तो पूरी कविता ही बहुत असरकारी है।
हेमन्त कुमार

निर्मला कपिला said...

ज़िन्दगी की वर्क-बुक में

प्रैक्टिस करवाई गई थी उसे

भूख लिखने की लगातार.
मीनूजी चन्द शब्दों मे इतनी गहरी बात बहुत खूब। शुभकामनायें

मनोज कुमार said...

इतनी सुंदर बातों को कहती रचना के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद
आपको नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।

Udan Tashtari said...

बहुत मारक!!


आपका काम आज पक्का!! :) क्षमा चाहूँगा देरी के लिए.



यह अत्यंत हर्ष का विषय है कि आप हिंदी में सार्थक लेखन कर रहे हैं।

हिन्दी के प्रसार एवं प्रचार में आपका योगदान सराहनीय है.

मेरी शुभकामनाएँ आपके साथ हैं.

नववर्ष में संकल्प लें कि आप नए लोगों को जोड़ेंगे एवं पुरानों को प्रोत्साहित करेंगे - यही हिंदी की सच्ची सेवा है।

निवेदन है कि नए लोगों को जोड़ें एवं पुरानों को प्रोत्साहित करें - यही हिंदी की सच्ची सेवा है।

वर्ष २०१० मे हर माह एक नया हिंदी चिट्ठा किसी नए व्यक्ति से भी शुरू करवाएँ और हिंदी चिट्ठों की संख्या बढ़ाने और विविधता प्रदान करने में योगदान करें।

आपका साधुवाद!!

नववर्ष की बहुत बधाई एवं अनेक शुभकामनाएँ!

समीर लाल
उड़न तश्तरी

Ambarish said...

spelling ke bahane bahut kuch kah diya aapne.. sundar aur saarthak rachna..

हेमन्त कुमार said...

बहुत ही मारक है आपकी कविता ।
उत्तरदायित्व बोध कराती हुई ।
आभार ।

रचना दीक्षित said...

कम शब्दों में एक गहरी बात बहुत कुछ सोचने
पर मजबूर करती है

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