Sunday, December 06, 2009

कूड़ा बीनने वाले बच्चों का अपना बैंक



बनारस,६ दिसंबर. देश में जब कोई विजय दिवस मन रहा था और कोई शर्म दिवस ऐसे में बनारस के कूड़ा बीनने वाले बच्चों सहित तमाम गरीब बच्चे अपने द्वारा खोले गए चिल्ड्रेन्स बैंक के द्वारा देशवासियों का ध्यान देश की सबसे बड़ी समस्या गरीबी और उसके उन्मूलन के लिए आर्थिक सशक्तीकरण् की आवश्यकता की ओर आकर्षित करने में लगे हुए थे .मंदिर और मस्जिद के नाम पर बटवारे को नकारते यह बच्चे अपने बैंक द्वारा देश को आर्थिक ताक़त बनाने में मशगूल दिखाई दिए. विशाल भारत संसथान के तत्वावधान में बना बच्चों का यह बैंक अपनी किस्म का पहला है .इसका संचालन 5-13 वर्ष के बच्चे ही करते हैं.इस बैंक में मात्र 50 पैसे से खाता खोला जा सकता है ,इसके लिए एक फॉर्म भरना पड़ता है साथ ही एक गारंटर की ज़रुरत पड़ती है.बाल श्रमिक अपनी कमाई से प्रतिदिन 1-10 रूपए बैंक में जमा करते हैं.ज़रूरत पड़ने पर यह बच्चे इस बैंक से ब्याज रहित लोन भी ले सकते हैं.इस बैंक के कारण कई गरीब बच्चे अपनी पढ़ी जारी रख पा रहे हैं और बाल श्रमिकों में बचत की भावना का भी विकास हो रहा है. इस बैंक की मैनेजर 11 वर्षीय निशा है तो 8 वर्षीय आफरीन केशियर् का काम करती हैं वाही 6 वर्षीय तौहीद आलम बैंक के सुरक्षा अधिकारी हैं. आज इस बैंक का उद्घाटन बैंक ऑफ़ बड़ोदा के प्रबंधक श्री घनश्याम दास् ने किया. इस मौके पर संस्थान के अध्यक्ष राजीव श्रीवास्तव ने बताया की जल्द ही बैंक की २० अन्य शाखाएं खोली जाएगी.लगता है वह दिन दूर नहीं जब गरीब बच्चे अपनी बचत द्वारा देश को आर्थिक ताकत बनाने में बराबर के भागीदार होंगे. हमारी तरफ से इस पहल पर इन सभी बच्चों को बधाई और शुभकामनाएं.

19 comments:

M VERMA said...

सुन्दर प्रयास -- अच्छी जानकारी

Udan Tashtari said...

बहुत सार्थक पहल है.

Himanshu Pandey said...

बनारस से शुरु हुई इस पहल की जितनी भी सराहना हो कम है ।
बाल-संसद के बाद बच्चों का अपना बैंक । स्वागत है !

RAJNISH PARIHAR said...

बहुत अच्छा और सार्थक प्रयास...मेरी शुभकामनायें......

sanjay vyas said...

आखिर खुद ही पहल करनी पड़ी बच्चों को.ये विचार और उसे अमली जमा पहनाना,ज़बरदस्त काम.इस पोस्ट के लिए आभार.
अब ये सुनिश्चित हो कि ये प्रयास जिंदा रहे.

गिरिजेश राव, Girijesh Rao said...

बधाई बनारस!
बच्चों की माइक्रो फाइनेंसिंग सफल हो, यही कामना है।
राम और कांशीराम के घनघोर हल्ले में काशी की ये फुसफुसाहट कानों में बहुत कुछ कह रही है।

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

वाकई एक अच्छी प्रस्तुति !

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

दी........ बहुत अच्छी जानकारी दी आपने....... बहुत सार्थक प्रयास है यह बच्चों का...... बच्चों को शुभकामनाएं...........

दिगम्बर नासवा said...

बहुत ही अच्छा प्रयास ......... बड़ों को कुछ सीखना चाहिए इन बच्चों से .......

निर्मला कपिला said...

बहुत सुन्दर प्रयास है इन बच्चों को आशीर्वाद्

Unknown said...

बहुत अच्छा लगा जान कर................

इन बच्चों के साथ मैं भी एक दिन गुज़ार चुका हूँ............

ये बच्चे गरीब और साधन हीन हैं लेकिन मेधावी बहुत हैं

अच्छी पोस्ट !

पूनम श्रीवास्तव said...

Meenu ji ,
bachchon ke is bank ke bare me padhkar achchha laga.meree bhee shubhkamnayen in bachchon ke ujjval bhavishya ke liye.
Poonam

डॉ महेश सिन्हा said...

बच्चे मन सच्चे . ब्लॉग जगत में इस अभिनव सूचना देने के लिए धन्यवाद

डा0 हेमंत कुमार ♠ Dr Hemant Kumar said...

बच्चों के विकास की दिशा में एक सार्थक पहल्।
हेमन्त कुमार

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

Prernaprad post. Aabhar, parichay karane ka.

मेरी आवाज सुनो said...

bahut sarthak kadam...!
mubarak...!!

शरद कोकास said...

कचरा बीनने वाले बच्चे... इन्हे बैंक की नहीं स्कूल की ज़रूरत है ।

सर्वत एम० said...

एक महत्वपूर्ण जानकारी देने के लिए शुक्रिया. गरीब बच्चों के लिए किसी ने सोचा तो!

Meenu Khare said...

शरद जी इन बच्चों का स्कूल पहले से ही चल रहा है. पैसे की कमी के कारण अक्सर इस पढाई में बाधा आती है उसे ही दूर करने के लिए इन बच्चों ने बैंक खोला है ताकि आवश्यकतानुसार आसान कर्ज़ लेकर वे अपनी पढाई जारी रख सकें.

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