मीनू खरे जी नमस्कार ! विविध रस रंग से सुसज्जित आपका ब्लॉग बहुत पसंद आया । … और कविता ? कल तक नम थीं सिर्फ आंखें आज दिल भी नम है. कोई मॉनसून आ पहुंचा है शायद तुम से टकराने के बाद … मीनूजी , इस छोटी सी रचना में कितने भाव भर कर भावविभोर कर दिया आपने ! हार्दिक बधाई स्वीकार करें , कृपया !
शस्वरं पर भी आपका हार्दिक स्वागत है , अवश्य आइएगा …
16 comments:
अबकी सावन बरसे ना बरसे
लेकिन बारिश लम्बी होगी
मेरी आँखों के बादल से
तुम भी कही भीगती होगी
क्या कहने ..... दीदी.........बहुत खूब !!
चार पंक्तियों की यह कविता बरसात के द्वारा फैलाई गई नमी मत्र नहीं है बल्कि कंक्रीट युग के बरक्स पूरी एक संस्कृति इस कविता में दृश्यमान हो उठी है।
हमी ने बनाए बादल ,और लगाई गुहार ,ऐसी भी क्या बेकरारी ? जरा सी प्यास ही तो है !!!
वाह ! बहुत सुन्दर पंक्तियाँ हैं..."कोई मानसून आ पहुँचा है अब तक, शायद तुम से टकराने के बाद..."
नमी की क्यों, झकाझूम बारिश की बात कीजिए।
सचमुच गागर में सागर भर दिया है आपने।
बधाई।
…………..
प्रेतों के बीच घिरी अकेली लड़की।
साइंस ब्लॉगिंग पर 5 दिवसीय कार्यशाला।
मीनू खरे जी
नमस्कार !
विविध रस रंग से सुसज्जित आपका ब्लॉग बहुत पसंद आया ।
… और कविता ?
कल तक नम थीं सिर्फ आंखें
आज दिल भी नम है.
कोई मॉनसून आ पहुंचा है
शायद तुम से टकराने के बाद …
मीनूजी ,
इस छोटी सी रचना में कितने भाव भर कर भावविभोर कर दिया आपने !
हार्दिक बधाई स्वीकार करें , कृपया !
शस्वरं पर भी आपका हार्दिक स्वागत है , अवश्य आइएगा …
- राजेन्द्र स्वर्णकार
शस्वरं
‘तस्लीम’ के आँदोलन में सहभागिता के लिए आभार।
meenu ji bahut khoob .is choti si kavita me man ki puri baat kah dali.
poonam
वाह...आपने तो विरह की पीड़ा जैसे शब्दों में उकेर दी है.
कल तक नम थीं सिर्फ आँखें
आज दिल भी नम है.
कोई मॉनसून आ पहुंचा है मुझ तक
शायद तुम से टकराने के बाद ....
meenu ji..jawab nahi aapka..its amazing..:)
कितने कितने अर्थों में मानसून !
बहुत सुंदर !
Bahut sunder
bahut sundar
bahut hi khoobsuat lines likhi hai aapne..
Meri Nayi Kavita par aapke Comments ka intzar rahega.....
A Silent Silence : Naani ki sunaai wo kahani..
Banned Area News : Pak will overcome flood crisis: Clinton
Post a Comment