Monday, September 12, 2011

चलो लिख डालें एक कविता





बहुत दिनों बाद मन है –

चलो लिख डालें एक कविता.

चलो लिख कर देखें

ढेर सारे सपने

सजाता है जिन्हें रोज मन

नींद आने के बस तुरंत बाद..

चलो पिरो दे पंक्तियों में

उन सारी पीडाओं को

व्यथाओं को

जो मन पर बोझ बन कर रहती हैं

और आत्मा जिन्हें न चाहते हुए भी सहती है...

चलो शब्द दे दें

भगवान से अपनी शिकायतों को...

चलो कह दें जग से

वो शिकवे

जो हैं हमें हँथेली की रेखाओं से...

चलो रचें वो सारे वाक्य

सुनना चाहते है जिन्हें कान

देखना चाहती है जिन्हें आँखे

अपने आगे सच होते हुए...

चलो उठाओ कलम और लिख डालो

या

रखो उँगलियाँ की-बोर्ड पर

और

छाप डालो वो सब कुछ

जो असल जिन्दगी में न सही

मगर कविता में तो जरूर हो सकता है सच.

17 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

कविता में कितना कुछ पिरोना है।

केवल राम said...

वाह यह कविता जो हमें अभिव्यक्त करती है खुद के माध्यम से और फिर भी कुछ नहीं कहती .....!

Dr (Miss) Sharad Singh said...

चलो उठाओ कलम और लिख डालो
या
रखो उँगलियाँ की-बोर्ड पर
और
छाप डालो वो सब कुछ
जो असल जिन्दगी में न सही
मगर कविता में तो जरूर हो सकता है सच.

आपने बहुत सुन्दर शब्दों में अपनी बात कही है। शुभकामनायें।

सदा said...

बहुत ही सुन्‍दर भावमय करते शब्‍दों के साथ बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ।

Yashwant R. B. Mathur said...

बेहतरीन।
------
कल 14/09/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!

SANDEEP PANWAR said...

अच्छी लिखी है।

मनोज कुमार said...

सही सोच! कविता का जन्म हमारी परिस्थितियों के बीच ही होता है। यह हमारी भावात्मक स्थिति और गतिशील चेतना की अभिव्यक्ति है।

prerna argal said...

सबसे पहले हिंदी दिवस की शुभकामनायें /
बहुत ही सुंदर और गहन सोच को उजागर करती हुई बेमिसाल रचना /बहुत बधाई आपको /
मेरी नई पोस्ट हिंदी दिवस पर लिखी पर आपका स्वागत है /
http://prernaargal.blogspot.com/2011/09/ke.html// आभार/

रेखा said...

बेहतरीन रचना ....

shikha varshney said...

वाकई.. कविता में सब कुछ पिरोया जा सकता है.

दिगम्बर नासवा said...

कविताओं का सच कितना भिन्न है सच से ... बहुत कुछ कहती है ये कविता ..

अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com) said...

सपने भी पूरे हो गये, मन भी हल्का हो गया. बड़े ही सहज अंदाज में मन की बात कही गई.

seema prakash said...

bahut acche meenuji

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mridula pradhan said...

जो असल जिन्दगी में न सही

मगर कविता में तो जरूर हो सकता है सच. kitna sahi kaha.......

Unknown said...

आपको मेरी तरफ से नवरात्री की ढेरों शुभकामनाएं.. माता सबों को खुश और आबाद रखे..
जय माता दी..

Vandana Ramasingh said...

चलो रचें वो सारे वाक्य

सुनना चाहते है जिन्हें कान

देखना चाहती है जिन्हें आँखे

अपने आगे सच होते हुए... वास्तव में कविता यही मनचाही दुनिया देती है

Smart Indian said...

सुन्दर कविता! बना रहे यह उल्लास यूँ ही!

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