वाह ! कमाल है ! मैंने तो आजतक इन विषयों के बारे मे सोचा भी नही था ....,मोबिल आयल को प्रतीक बना कर आपने इतनी सुंदर प्रेम कविता रची है की मेरे पास शब्द कम पड़ गए हैं तारीफ के लिए .एक बार फिर गागर मे सागर .
आम ज़िन्दगी के आम से बिम्ब आपकी कविता में आकर खास बन जाते हैं. इस कविता को चिट्ठाचर्चा में पढ़ चुकी थी, पर ब्लॉग खोलने पर मालवेयर वार्निंग आ रही थी इसलिये यहाँ नहीं आ पा रही ्थी. आपने आश्वासन दिया तो वार्निंग को कूद-फाँदकर आ गयी. बड़ा खूबसूरत बिम्ब है-मोबिल ऑयल.
20 comments:
... बेहद प्रभावशाली अभिव्यक्ति है ।
और मोबिल आयल क्या कहेगा मीनू जी ?
सटीक और सुन्दर
कुछ अलग सा
@अरविन्द जी क्या बताऊँ ? अभी तक मोबिल ऑयल की लिखी कोई कविता पढने को नहीं मिली, न ही कोई ब्लॉग...:)
हमेशा की तरह अलग ! सुन्दर प्रविष्टि ! आभार !
शीर्षक से ही भावनाओं की गहराई का एह्सास होता है।
वाह ! कमाल है ! मैंने तो आजतक इन विषयों के बारे मे सोचा भी नही था ....,मोबिल आयल को प्रतीक बना कर आपने इतनी सुंदर प्रेम कविता रची है की मेरे पास शब्द कम पड़ गए हैं तारीफ के लिए .एक बार फिर गागर मे सागर .
एकदम नई नवेली उपमा दी आपने !!! सम्वेदना छूती कविता ! बधाई !
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
इसे 10.04.10 की चिट्ठा चर्चा (सुबह ०६ बजे) में शामिल किया गया है।
http://chitthacharcha.blogspot.com/
आवश्यकता
केवल निर्भर करता है कि कोई समझ पाता है कोई नहीं
Mam Ekdam naya subject bahut accha laga padh ke ....Thanx
कमाल की सोच ...चंद पंक्तियों में सब कुछ कह दिया
वाह .. कुछ शब्दों में कही ज़रूरी और गहरी बात ... मोबिल आयिल हो तुम ... सच में कोई कोई मोबिल आयिल होता है जीवन में
मोबिल ऑयल भी प्रेम का प्रतीक होती है क्या बात है ....
अनिर्वचनीय ।
अनिर्वचनीय ।
തീര്ച്ചയായും,bilkul!!!
जिंदगी मशीन और
मशीन जिंदगी हुई।
आम ज़िन्दगी के आम से बिम्ब आपकी कविता में आकर खास बन जाते हैं. इस कविता को चिट्ठाचर्चा में पढ़ चुकी थी, पर ब्लॉग खोलने पर मालवेयर वार्निंग आ रही थी इसलिये यहाँ नहीं आ पा रही ्थी. आपने आश्वासन दिया तो वार्निंग को कूद-फाँदकर आ गयी.
बड़ा खूबसूरत बिम्ब है-मोबिल ऑयल.
आभारी हूँ मुक्ति जी आपके इस सम्मान के लिए.
Post a Comment