Thursday, July 29, 2010
Sunday, July 04, 2010
पहली फुहार के संग सुनिए राग मियां मल्हार
(गायक कलाकार पद्मभूषण पंडित छन्नू लाल मिश्र)
इतने महीनों की चिलचिलाती गर्मी के बात आखिर मानसून की आमद दिखी और बादलों से कुछ बूंदे धरती पर पहुँची . पहली बारिश, हर ले आपके मन की हर तपिश... इस कामना के साथ प्रस्तुत है कुछ काव्य पंक्तियाँ और मेरे पूज्य गुरूजी पद्मभूषण पंडित छन्नू लाल मिश्र जी का गाया राग मियां मल्हार . . पहली फुहार पर इससे अच्छा उपहार और क्या हो सकता है भला एक ब्लॉगर की ओर से !!! आशा है गुरूजी की आवाज़ आपको रससिक्त करने में सफल होगी.
ओ वर्षा के पहले बादल
मन की गति जैसे तुम चंचल
चंचल और चपल .
पहली वर्षा बादल तुम पहले
प्रथम प्रेम आसक्ति प्रथम
प्रिय वियोग का अवसर पहला
कैसे समझाऊँ मन
उड़ कर दूर दूर तुम जाते
छू कर आते उनका द्वार
सुधि लाते उनको ना लाते
सूना मन का आँगन.
ओ वर्षा के पहले बादल
मन की गति जैसे तुम चंचल
चंचल और चपल .
पद्मभूषण पंडित छन्नू लाल मिश्र जी का गाया राग मियां मल्हार सुनने के लिए यहाँ क्लिक करें .
इतने महीनों की चिलचिलाती गर्मी के बात आखिर मानसून की आमद दिखी और बादलों से कुछ बूंदे धरती पर पहुँची . पहली बारिश, हर ले आपके मन की हर तपिश... इस कामना के साथ प्रस्तुत है कुछ काव्य पंक्तियाँ और मेरे पूज्य गुरूजी पद्मभूषण पंडित छन्नू लाल मिश्र जी का गाया राग मियां मल्हार . . पहली फुहार पर इससे अच्छा उपहार और क्या हो सकता है भला एक ब्लॉगर की ओर से !!! आशा है गुरूजी की आवाज़ आपको रससिक्त करने में सफल होगी.
ओ वर्षा के पहले बादल
मन की गति जैसे तुम चंचल
चंचल और चपल .
पहली वर्षा बादल तुम पहले
प्रथम प्रेम आसक्ति प्रथम
प्रिय वियोग का अवसर पहला
कैसे समझाऊँ मन
उड़ कर दूर दूर तुम जाते
छू कर आते उनका द्वार
सुधि लाते उनको ना लाते
सूना मन का आँगन.
ओ वर्षा के पहले बादल
मन की गति जैसे तुम चंचल
चंचल और चपल .
पद्मभूषण पंडित छन्नू लाल मिश्र जी का गाया राग मियां मल्हार सुनने के लिए यहाँ क्लिक करें .
|
Labels:
काव्य,
गायन,
छन्नू लाल मिश्र,
तपिश,
बादल,
मानसून,
मियां मल्हार,
वर्षा
Subscribe to:
Posts (Atom)