उल्लास: मीनू खरे का ब्लॉग
एक ब्रॉडकास्टर की डायरी, जहाँ आपकी आहटों के मुंतज़िर हैं हम...
Sunday, April 18, 2010
नर्सरी का दर्द
मैं
नर्सरी की भूमि हूँ.
मेरी कोख में
अनेक बीज बोए गए
अनेक बार
किंतु ज्यों ही
पनपे थे वे थोड़ा
कि
उखाड़ कर बो दिया गया
उन्हे
अन्यत्र कहीं
मेरी गोद सदा सूनी
जबकि
मैं बाँझ नहीं.
Thursday, April 08, 2010
मशीनी ज़िन्दगी
दिन-रात
दौड़ती भागती
मेरी मशीनी ज़िन्दगी में,
मोबिल ऑयल हो तुम !
बेहद ज़रूरी,
नितांत आवश्यक.
Newer Posts
Older Posts
Home
Subscribe to:
Posts (Atom)
LinkWithin