बहुत दिनों बाद मन है –
चलो लिख डालें एक कविता.
चलो लिख कर देखें
ढेर सारे सपने
सजाता है जिन्हें रोज मन
नींद आने के बस तुरंत बाद..
चलो पिरो दे पंक्तियों में
उन सारी पीडाओं को
व्यथाओं को
जो मन पर बोझ बन कर रहती हैं
और आत्मा जिन्हें न चाहते हुए भी सहती है...
चलो शब्द दे दें
भगवान से अपनी शिकायतों को...
चलो कह दें जग से
वो शिकवे
जो हैं हमें हँथेली की रेखाओं से...
चलो रचें वो सारे वाक्य
सुनना चाहते है जिन्हें कान
देखना चाहती है जिन्हें आँखे
अपने आगे सच होते हुए...
चलो उठाओ कलम और लिख डालो
या
रखो उँगलियाँ की-बोर्ड पर
और
छाप डालो वो सब कुछ
जो असल जिन्दगी में न सही
मगर कविता में तो जरूर हो सकता है सच.