एक ब्रॉडकास्टर की डायरी, जहाँ आपकी आहटों के मुंतज़िर हैं हम...
वाह वाह वाह .......क्या कहने दिल को छू गयी रचना .........मन कुछ ऐसा ही होता है ......बहुत खुब
'' मन के किसी कोने में अब भी सावन बसता है.''और आँखे हैं कि उस सावन का पता बता ही देती हैं... अच्छी रचना....बधाई..
मीनू जी ! सुना है रात भर बरसा है बादल,मगर वह शहर जो प्यासा रहा है .
कविता छोटी सी मगर गागर में सागर9415418569
बहुत खूब. Though, If I may add, if life had just these two shades to offer, it could all've been so simple. That's in no way trying to undermine your poem, I'm writing all these absurd things because something struck a chord ...
मन के किसी कोने में अब भी सावन बसता है"अच्छी रचना बधाई..
सुन्दर!
दिल को छू गई आपकी रचना...सुंदर
लाजवाब!---ना लाओ ज़माने को तेरे-मेरे बीच
very nice heart touching poem.
बहुत खूब मन और सावन
यही तो रोना है।( Treasurer-S. T. )
सबके दिलों में सावन बसा रहें जो किसी के पतझड़ में बरस पायेनमस्कारबहुत अच्छा लग रहा है आपसे परिचित होकर ।www.bhorkipehlikiran.blogspot.comwww.kiranrajpurohit.blogspot.com
fir se ye sawan ab kyun na aaye..din dhal jaaye, hai raat na jaaye........! samvendansheel rachna!
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14 comments:
वाह वाह वाह .......क्या कहने दिल को छू गयी रचना .........मन कुछ ऐसा ही होता है ......बहुत खुब
'' मन के किसी कोने में
अब भी सावन बसता है.''
और आँखे हैं कि उस सावन का पता बता ही देती हैं...
अच्छी रचना....बधाई..
मीनू जी ! सुना है रात भर बरसा है बादल,
मगर वह शहर जो प्यासा रहा है .
कविता छोटी सी मगर गागर में सागर
9415418569
बहुत खूब. Though, If I may add, if life had just these two shades to offer, it could all've been so simple. That's in no way trying to undermine your poem, I'm writing all these absurd things because something struck a chord ...
मन के किसी कोने में
अब भी सावन बसता है"
अच्छी रचना बधाई..
सुन्दर!
दिल को छू गई आपकी रचना...सुंदर
लाजवाब!
---
ना लाओ ज़माने को तेरे-मेरे बीच
very nice heart touching poem.
बहुत खूब मन और सावन
यही तो रोना है।
( Treasurer-S. T. )
सबके दिलों में सावन बसा रहें
जो किसी के पतझड़ में बरस पाये
नमस्कार
बहुत अच्छा लग रहा है आपसे परिचित होकर ।
www.bhorkipehlikiran.blogspot.com
www.kiranrajpurohit.blogspot.com
fir se ye sawan ab kyun na aaye..din dhal jaaye, hai raat na jaaye........!
samvendansheel rachna!
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