एक ब्रॉडकास्टर की डायरी, जहाँ आपकी आहटों के मुंतज़िर हैं हम...
बहुत कोमल कविताएँ लिखती हैं आप, जैसी स्याही अभी तक गीली हो!---चर्चा पर टिप्पणी करने के लिए आभार---1. विज्ञान । HASH OUT SCIENCE2. चाँद, बादल और शाम
भटकी हुई उदास नदी में कितनी बार बहेंगे हम ?
Adbhut.
कम शब्दों में अच्छी अभिव्यक्ति मीनू जी।सादर श्यामल सुमन 09955373288 www.manoramsuman.blogspot.comshyamalsuman@gmail.com
bahut achchi kavita... sach me
Post a Comment
5 comments:
बहुत कोमल कविताएँ लिखती हैं आप, जैसी स्याही अभी तक गीली हो!
---
चर्चा पर टिप्पणी करने के लिए आभार
---
1. विज्ञान । HASH OUT SCIENCE
2. चाँद, बादल और शाम
भटकी हुई उदास नदी में कितनी बार बहेंगे हम ?
Adbhut.
कम शब्दों में अच्छी अभिव्यक्ति मीनू जी।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
bahut achchi kavita... sach me
Post a Comment