एक ब्रॉडकास्टर की डायरी, जहाँ आपकी आहटों के मुंतज़िर हैं हम...
त्रासद है पर सत्य है.
बहद संवेदनशील बात उठाई है आपने इस शशक्त रचना के द्वारा ......... माँ बाप धरोहर हैं उन्हे उचित मान देना हमारा कर्तव्य हैं ...........
काश!! ऐसा डॉक्टर होता!!बहुत मर्मस्पर्शी यथार्थ बोध!!
दिमाग की सर्जरी करनी पड़ेगी.वैसे इस अवस्था के लिए कौन जिम्मेदार है शोध का विषय है .
मसला यह नहीं है कि,इसे हल कौन करेगा मसला यह है कि इसमें पहल कौन करेगा ? डाक्टर तो खुद ही बीमार है इस रोग से विश्वास न हो तो किसी डाक्टर के घर जा कर उनके माँ बाप की हालात देख ले सशक्त प्रस्तुति
हूँ ,मार्मिक
बहुत मार्मिक रचना .....विडम्बना है की जिन्होंने बच्चों को लायक बनाया वही बोझ लगने लगते हैं...
जीवन की सच्चाई को सच साबित करती एक बेहतरीन रचना के लिए बधाई।
जीवन का एक कटु सत्य शायद हम सबको उससे दो चार होना होगा, अत्यंत मार्मिक
क्या ही ज़बरदस्त बात कही आपने .......थोड़े शब्दों में बुढ़ापे कि त्रासदी लिख दी
आपकी रचनाओं की खासियत है कि ये समय पर कड़ा प्रहार करती हैं ......!!
संवेदनाओं की अनोखी प्रस्तुति करती हैं आप ! बेहतरीन रचना ! आभार ।
bahut hi marmik ...........zindagi ka katu satya jisse har koi moonh churata hai.
Kaash, koi aisi takneek bhi hoti.
Dil ko chhoo gai..
बहुत मार्मिक रचना जो दिल को छू गई ! मरती हुई सम्वेदनाएँ चिंताजनक हैं ! बधाई स्वीकारें !
jaise SALMAN, HRITIK ect..ki fashion logo k sir chad kar nachti he aur log unka anusaran karte he, aaj hame ek kissi SHARAVAN KUMAR ki aavashyakta he duniya me jo in murkh aulado ko samjha sake ki aapko bhi kabhi is jagah aana he.....
मर्मस्पर्शी
kaash sabhi aap jaisa sochte.....maine bhi ek post likhi hai is par zaroor padhiyega."ye kya hai" naam se
एक हल यह भी हो सकता है कि गांव से बूढी मां को बुलाया जाकर ,कामबाली बाई को हटा देना चाहिये
bahut achchi rachna.wah.
wah kya sunder baat kahi hai.
kaash isse koi seekh le pata. laddoo.
Post a Comment
24 comments:
त्रासद है पर सत्य है.
बहद संवेदनशील बात उठाई है आपने इस शशक्त रचना के द्वारा ......... माँ बाप धरोहर हैं उन्हे उचित मान देना हमारा कर्तव्य हैं ...........
काश!! ऐसा डॉक्टर होता!!
बहुत मर्मस्पर्शी यथार्थ बोध!!
दिमाग की सर्जरी करनी पड़ेगी.
वैसे इस अवस्था के लिए कौन जिम्मेदार है शोध का विषय है .
मसला यह नहीं है कि,
इसे हल कौन करेगा
मसला यह है कि
इसमें पहल कौन करेगा ?
डाक्टर तो खुद ही बीमार है इस रोग से
विश्वास न हो तो किसी डाक्टर के घर जा कर उनके माँ बाप की हालात देख ले
सशक्त प्रस्तुति
हूँ ,मार्मिक
बहुत मार्मिक रचना .....विडम्बना है की जिन्होंने बच्चों को लायक बनाया वही बोझ लगने लगते हैं...
जीवन की सच्चाई को सच साबित करती एक बेहतरीन रचना के लिए बधाई।
जीवन का एक कटु सत्य शायद हम सबको उससे दो चार होना होगा, अत्यंत मार्मिक
क्या ही ज़बरदस्त बात कही आपने .......थोड़े शब्दों में बुढ़ापे कि त्रासदी लिख दी
आपकी रचनाओं की खासियत है कि ये समय पर कड़ा प्रहार करती हैं ......!!
संवेदनाओं की अनोखी प्रस्तुति करती हैं आप !
बेहतरीन रचना ! आभार ।
bahut hi marmik ...........zindagi ka katu satya jisse har koi moonh churata hai.
Kaash, koi aisi takneek bhi hoti.
Dil ko chhoo gai..
बहुत मार्मिक रचना जो दिल को छू गई ! मरती हुई सम्वेदनाएँ चिंताजनक हैं ! बधाई स्वीकारें !
बहुत मार्मिक रचना जो दिल को छू गई ! मरती हुई सम्वेदनाएँ चिंताजनक हैं ! बधाई स्वीकारें !
jaise SALMAN, HRITIK ect..ki fashion logo k sir chad kar nachti he aur log unka anusaran karte he, aaj hame ek kissi SHARAVAN KUMAR ki aavashyakta he duniya me jo in murkh aulado ko samjha sake ki aapko bhi kabhi is jagah aana he.....
मर्मस्पर्शी
kaash sabhi aap jaisa sochte.....
maine bhi ek post likhi hai is par zaroor padhiyega."ye kya hai" naam se
एक हल यह भी हो सकता है कि गांव से बूढी मां को बुलाया जाकर ,कामबाली बाई को हटा देना चाहिये
bahut achchi rachna.wah.
wah kya sunder baat kahi hai.
kaash isse koi seekh le pata. laddoo.
Post a Comment