MInu Ji, Aapki Bhavnaon ko samjha ja sakta hai par main yah kahna chahunga kee nariyon ko abhi aur bhi prashikshit hone hai taki purush varg unhe "pairon kee JUTI" kah na sake.
मीनू जी , व्यंग्य दो तरह के होते है.पहला वह जो सिर्फ ऊपर से हंसा या गुदगुदा देता है .दूसरा जो दिल के अन्दर तक घाव करने के साथ बहुत कुछ कह जाता है . आपकी कविताओ को मै बाद वाली श्रेणी में रखता हू.......यानि की गंभीर घाव करने वाला ... हेमंत कुमार
sach kahun to bahut dinoan ke baad hindi padh raha hoon... aapne ek sach ko bakhoobi pesh kiya.. par shayad aaj jamana badal raha hai.. aurat aaj vaastav mein wo sab paa rahi hain jo wo deserve karti hain..
maaf kijiye...deserve ke liye hindi shabd nahi soch paya..
पता नहीं आप सहमत है या नहीं मगर मुझे आपत्ति है. इस कविता से महिलाओं को जूती तुल्य कर दिया, जो काट भी सकती है.
भावनाएं सही है, संदेश सही... मगर जूती कैसे नुकसान पहूँचा सकती है यह बताती है, अतः औरत को जूती मत समझो. और अगर जूती नुकसान न पहूँचाए तो? क्या तब भी समझो?
औरत हो या मर्द, दोनो में न कोई महान है न पतित. समकक्ष है. कोई अपने को महान समझे यह उसकी मूर्खता है, हीन समझे वह उसकी हीन भावना है.
अच्छी-सी कविता के लिए बधाई..किसी कविता को और भी बेहतर बनाया जा सकता है..माँज-माँज कर...बात तो वही रहती है, पर फिर वह जूती की तरह नहीं काटती..तलवार की तरह काटती है....वैसे आपने जो कहा है...भारत के बहुसंख्यक वर्ग के लिए सही है....हो सकता है...मेरे या आपके घर में ऎसा न भी होता हो...
आप सभी गुणीजनों का धन्यवाद जिन्होने मेरी रचना पढने के लिए समय निकाला.मिथिलेश जी, दिगम्बर जी धन्यवाद आपने औरत को सिर का ताज कहा और उसके माँ स्वरूप को चित्रित किया पर सँजय बेगाणी जी नाराज़गी भी अच्छी लगी.
"औरत हो या मर्द, दोनो में न कोई महान है न पतित. समकक्ष है. कोई अपने को महान समझे यह उसकी मूर्खता है, हीन समझे वह उसकी हीन भावना है."
सँजय जी अगर ध्यान से देखैं तो "जूती" कविता एक व्यंग्य है ऐसे लोगों पर जो औरत को पैर की जूती कहने की शेखी बघारते हैं. कविता में औरत की तुलना जूती से कदापि नही की गई है. बहुत अच्छा लगा औरत की मर्यादा के प्रति आपका ऐसा भाव देखकर.
यह सच है कि हर परिवार में ऐसे लोग नही हैं जो औरत की अवमानना करने के लिए ऐसे शब्दों का प्रयोग करते हैं पर मित्रों बहुत ऊँचे और पढे लिखे तबकों में भी कुछ लोग ऐसी भावना रखते हैं और यह कविता उन्ही पर कटाक्ष की एक कोशिश थी.
स्थितियाँ बदल रहीं हैं और आशा है आनेवाली दुनिया में औरत सिर का ताज ही बन कर रहेगी.
35 comments:
क्या बात है!!
MInu Ji,
Aapki Bhavnaon ko samjha ja sakta hai par main yah kahna chahunga kee nariyon ko abhi aur bhi prashikshit hone hai taki purush varg unhe "pairon kee JUTI" kah na sake.
वाह !! क्या खूब लिखा !!
bahut khub
अच्छा लिखा है आपने मिनू जी, लेकिन हर कोई ऐसा नही होता , औरत तो माँ स्वरुप होती हैं।
मीनू जी ,
व्यंग्य दो तरह के होते है.पहला वह जो सिर्फ ऊपर से
हंसा या गुदगुदा देता है .दूसरा जो दिल के अन्दर तक घाव करने के साथ बहुत कुछ कह जाता है .
आपकी कविताओ को मै बाद वाली श्रेणी में रखता हू.......यानि की गंभीर घाव करने वाला ...
हेमंत कुमार
खूब कहा
पता नहीं क्या कहूं
ये कहीं आपके व्यक्तित्वा और कथानक से मिलता नहीं
वाह !
क्या ख़ूब तेवर !
क्या ख़ूब कविता !
__________अभिनन्दन !
bahut dhaardaar likha hai |
तेवर बरकरार रहने चाहिए।
अच्छा है.
बहुत कुछ कह गये चन्द पंक्तियो मे........
बहुत कुछ कह गये चन्द पंक्तियो मे........
Kam shabdon men badee baat.
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
सुन्दर रचना....बहुत बहुत बधाई....
वाह क्या बात कही है...बेहतरीन
vaah ...aurat ko kabhi kum samjana hi nahi chahiye ...sahi kaha aaapne
----- eksacchai {AAWAZ }
http://eksacchai.blogspot.com
सच बहुत कड़वा होता है, सार्थक रचना है!
---
तख़लीक़-ए-नज़र
Gahre bhavon ko bahut saralta se bayaan kiya hai aapne.
( Treasurer-S. T. )
bilkul sahi nishaane par hai ye "Jooti"
Vah meenu ji....apkee kavitaon ka javab nahee....
Poonam
sach kahun to bahut dinoan ke baad hindi padh raha hoon...
aapne ek sach ko bakhoobi pesh kiya..
par shayad aaj jamana badal raha hai..
aurat aaj vaastav mein wo sab paa rahi hain jo wo deserve karti hain..
maaf kijiye...deserve ke liye hindi shabd nahi soch paya..
vaise maine aapko apne blog-list main aapke blog ko daal diya hai
wow! is the word for it.
पता नहीं आप सहमत है या नहीं मगर मुझे आपत्ति है. इस कविता से महिलाओं को जूती तुल्य कर दिया, जो काट भी सकती है.
भावनाएं सही है, संदेश सही... मगर जूती कैसे नुकसान पहूँचा सकती है यह बताती है, अतः औरत को जूती मत समझो. और अगर जूती नुकसान न पहूँचाए तो? क्या तब भी समझो?
औरत हो या मर्द, दोनो में न कोई महान है न पतित. समकक्ष है. कोई अपने को महान समझे यह उसकी मूर्खता है, हीन समझे वह उसकी हीन भावना है.
vaah कितनी लाजवाब बात likhi है आपने ........... सत्य, सार्थक, sateek ............ पर मैं नहीं maanta aurat pair की jooti है ........ वो sir का taaj है
अच्छी-सी कविता के लिए बधाई..किसी कविता को और भी बेहतर बनाया जा सकता है..माँज-माँज कर...बात तो वही रहती है, पर फिर वह जूती की तरह नहीं काटती..तलवार की तरह काटती है....वैसे आपने जो कहा है...भारत के बहुसंख्यक वर्ग के लिए सही है....हो सकता है...मेरे या आपके घर में ऎसा न भी होता हो...
गजब !!!!!!!!!!! नंगे पांव चलने लगेंगे......हाथ में लटकाकर जूती.
आप सभी गुणीजनों का धन्यवाद जिन्होने मेरी रचना पढने के लिए समय निकाला.मिथिलेश जी, दिगम्बर जी धन्यवाद आपने औरत को सिर का ताज कहा और उसके माँ स्वरूप को चित्रित किया पर सँजय बेगाणी जी नाराज़गी भी अच्छी लगी.
"औरत हो या मर्द, दोनो में न कोई महान है न पतित. समकक्ष है. कोई अपने को महान समझे यह उसकी मूर्खता है, हीन समझे वह उसकी हीन भावना है."
सँजय जी अगर ध्यान से देखैं तो "जूती" कविता एक व्यंग्य है ऐसे लोगों पर जो औरत को पैर की जूती कहने की शेखी बघारते हैं. कविता में औरत की तुलना जूती से कदापि नही की गई है. बहुत अच्छा लगा औरत की मर्यादा के प्रति आपका ऐसा भाव देखकर.
यह सच है कि हर परिवार में ऐसे लोग नही हैं जो औरत की अवमानना करने के लिए ऐसे शब्दों का प्रयोग करते हैं पर मित्रों बहुत ऊँचे और पढे लिखे तबकों में भी कुछ लोग ऐसी भावना रखते हैं और यह कविता उन्ही पर कटाक्ष की एक कोशिश थी.
स्थितियाँ बदल रहीं हैं और आशा है आनेवाली दुनिया में औरत सिर का ताज ही बन कर रहेगी.
आमीन.
आभार सहित,
मीनू खरे
और
लँगडा कर चलने पर मजबूर हो जाओगे तुम
उसी महफ़िल में
जहाँ
औरत को पैर की जूती कहने की शेखी बघार रहे हो तुम?
Bahut khoob ...Minu ji kafi krari chot di hai aapne .....!!
वाह भई वाह! खुशी हुई कि भारतीय नारी के स्वर तो बदले. अबतक तो यही रोना था कि वे मेरे प्राण हैं और वे अक्सर प्राण हर लिया करते थे.
बढियां है !
AURAT TO MAA KAA BHI ROOP HOTA HEY . AAUR MAA KEE MAHANTA TO KEHNA HI KYA? AAPKE VICHAR MERI SAMAJH NAHI AYEE. ASHOK.KHATRI 56 @GMAIL.COM
Kitna sahee kaha...kyon koyi waar/takleef bardasht kare?
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