एक ब्रॉडकास्टर की डायरी, जहाँ आपकी आहटों के मुंतज़िर हैं हम...
"..कुछ बड़ी कविताओं के सापेक्ष एक छोटी सटीक, व प्यारी कविता..."
इसे कहते है गागर में सागर भर देना...कम शब्दों में बेहतरीन बात....धन्यवाद!!!
सटीक व अर्थपरक
खूबसूरत रचना
चार लाइनों में बहुत कुछ कह दिया आपने---हेमन्त कुमार
दीदी,प्रणाम !बहुत बढ़िया, म़जा आ गया !
बहुत खुब। आप ने तो चन्द लाईनो मे सच्चाई को उकेर दिया। बहुत-बहुत बधाई
व्यक्ति को तरीक़े से पहचानने की कोशिश नज़र आती है।
क्या बात कही है मीनू जी !!!!!!!!! बधाई .
कुर्सी और मानवीय संवेदनाओं के बीच की दूरी घटती नहीं नजर आ रही ।बेहतर रचना ।आभार ।
कम शब्दों में बहुत बड़ी बात!! बधाई.
संजीवनी जडी सी है यह क्षणिका ! बहुत कारगर ! किसके ऊपर /कारण जन्मी ?
बहुत ही खूबसूरत चित्र है।
बेहद सम्वेदनशील रचना........बहुत कुछ कह गयी!
बहुत कुछ कह दिया इस रचना ने
देखन में छोटे लगे, घाव करें गंभीरचपरासी से तुलना गजब है.
छोटी सी रचना में गहरी बात ...... सच एं कुछ अफसर ऐसी सब सीमाएं दो कर इस स्टार तक गिर जाते हैं ...
प्रबन्धन प्रशिक्षण का चतुर्वर्ग याद आ गया, जरा इस मैट्रिक्स की सम्भावनाओं को देखें:कुर्सी । अफसर______।___________ ।संवेदना । चपरासीमैं देर तक सोचता रहूँगा। शायद कोई लेख ही निकल आए।
तो ये है आपकी कविता का गणितःकुर्सी > अफसर > चपरासी > मानवीयता (मानवीय संवेदना)बहुत खूब!!!
बड़े कम शब्दों में गहन बात कह दी है आपने....एक नज़र इधर भी डालें..एक ज्वलंत विषय पे कुछ लिखा है...http://mankapakhi.blogspot.com/
आज के दौर में क्षणिकाएं ज्यादा असरकार हैं। मैं भी कभी लिखा करता था, पर अब कविता तो जैसे छूट ही गयी है।बहुत बहुत बधाई।जाकिर अली रजनीश----------डिस्कस लगाएं, सुरक्षित कमेंट पाएँ
मुझे सापेक्षता का सिद्धांत याद आ गया । धन्यवाद ।
छोटी मगर वजनदार कविता----पूनम
ue sapeksta ka siddhant to 'einstine' ke E=MC~2 ki yaad dilata hua sa lagta hai...Haan Manviya samvedna ke meter se mat naapna menu ma'am in oonche auhde wale logon ko hamesh hi baune sabit hue hai...Hote raheinge.App nhi jaanti ki aapki rachnaaiyen mujhe kitna prabhavit karti hain?Diwali ki hardik shubh kaamnaiyen.
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24 comments:
"..कुछ बड़ी कविताओं के सापेक्ष एक छोटी सटीक, व प्यारी कविता..."
इसे कहते है गागर में सागर भर देना...
कम शब्दों में बेहतरीन बात....धन्यवाद!!!
सटीक व अर्थपरक
खूबसूरत रचना
चार लाइनों में बहुत कुछ कह दिया आपने---
हेमन्त कुमार
दीदी,
प्रणाम !
बहुत बढ़िया, म़जा आ गया !
बहुत खुब। आप ने तो चन्द लाईनो मे सच्चाई को उकेर दिया। बहुत-बहुत बधाई
व्यक्ति को तरीक़े से पहचानने की कोशिश नज़र आती है।
क्या बात कही है मीनू जी !!!!!!!!! बधाई .
कुर्सी और मानवीय संवेदनाओं के बीच की दूरी घटती नहीं नजर आ रही ।
बेहतर रचना ।
आभार ।
कम शब्दों में बहुत बड़ी बात!! बधाई.
संजीवनी जडी सी है यह क्षणिका ! बहुत कारगर ! किसके ऊपर /कारण जन्मी ?
बहुत ही खूबसूरत चित्र है।
बेहद सम्वेदनशील रचना........बहुत कुछ कह गयी!
बहुत कुछ कह दिया इस रचना ने
देखन में छोटे लगे, घाव करें गंभीर
चपरासी से तुलना गजब है.
छोटी सी रचना में गहरी बात ...... सच एं कुछ अफसर ऐसी सब सीमाएं दो कर इस स्टार तक गिर जाते हैं ...
प्रबन्धन प्रशिक्षण का चतुर्वर्ग याद आ गया, जरा इस मैट्रिक्स की सम्भावनाओं को देखें:
कुर्सी । अफसर
______।___________
।
संवेदना । चपरासी
मैं देर तक सोचता रहूँगा।
शायद कोई लेख ही निकल आए।
तो ये है आपकी कविता का गणितः
कुर्सी > अफसर > चपरासी > मानवीयता (मानवीय संवेदना)
बहुत खूब!!!
बड़े कम शब्दों में गहन बात कह दी है आपने....
एक नज़र इधर भी डालें..एक ज्वलंत विषय पे कुछ लिखा है...
http://mankapakhi.blogspot.com/
आज के दौर में क्षणिकाएं ज्यादा असरकार हैं। मैं भी कभी लिखा करता था, पर अब कविता तो जैसे छूट ही गयी है।
बहुत बहुत बधाई।
जाकिर अली रजनीश
----------
डिस्कस लगाएं, सुरक्षित कमेंट पाएँ
मुझे सापेक्षता का सिद्धांत याद आ गया । धन्यवाद ।
छोटी मगर वजनदार कविता----
पूनम
ue sapeksta ka siddhant to 'einstine' ke E=MC~2 ki yaad dilata hua sa lagta hai...
Haan Manviya samvedna ke meter se mat naapna menu ma'am in oonche auhde wale logon ko hamesh hi baune sabit hue hai...
Hote raheinge.
App nhi jaanti ki aapki rachnaaiyen mujhe kitna prabhavit karti hain?
Diwali ki hardik shubh kaamnaiyen.
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