Sunday, September 27, 2009

जहाँ राम का धर्म इस्लाम है...







भारत में उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से करीब 15 किमी दूर बक्शी के तालाब की रामलीला साम्प्रदायिक सौहार्द्र की एक बड़ी मिसाल है.यहाँ पर न केवल रामलीला के प्रबन्धन में मुस्लिम समुदाय के लोग भाग लेते है बल्कि राम, लक्षमण, दशरथ और रामायण के सभी महत्वपूर्ण चरित्रों का रोल भी मुस्लिम समुदाय के लोगों द्वारा अभिनीत किया जाता है तथा पूरे हिन्दू समाज द्वारा इसे पूरी आस्था के साथ स्वीकार भी किया जाता है.


इस रामलीला कमेटी के मुखिया डॉ. मंसूर अहमद बताते हैं कि यह अनोखी रामलीला उनके पिताजी के समय शुरू हुई और पिछले 30 सालों से भी अधिक समय से नियमित रूप से होती आ रही है. क्षेत्र में साम्प्रदायिक सौहार्द्र् का आलम यह है कि रमज़ान के महीने मे राम, लक्षमण आदि का रोल कर रहे मुस्लिम भाई चूँकि रोज़े से होते हैं अत: रोज़ा इफ़्तार के समय रामलीला बीच में रोक कर पहले इफ़्तार किया जाता है, फिर नमाज़ पढ कर फिर से रामलीला शुरू की जाती है. और हाँ रोज़ा इफ़्तार का प्रबन्ध हिन्दू भाइयों द्वारा किया जाता है..

रामलीला कमेटी के सचिव विदेशपाल यादव जी बताते हैं कि इस रामलीला को देखने दूर दूर से लोग आते हैं. 50 हज़ार से भी अधिक दर्शकों के सामने राम का अभिनय करना कैसा लगता है यह पूछने पर राम का रोल कर रहे कमाल खाँ कहते हैं कि मेरे लिए यह अद्भुत अनुभव होता है. एक देवता के रूप में लोग पैर छूते हैं, आरती उतारते हैं ! इसे शब्दों में बाँध पाना मुश्किल है. रामलीला देखने आई एक महिला सुनीता से जब मैने पूछा कि एक मुस्लिम को राम के रूप में देख कर कैसा लगता है तो वह बोली कोई किसी भी धर्म का हो जब वो राम के रूप में आ गया तो पूज्यनीय ही हुआ न!

रामलीला का निर्देशन करने वाले साबिर खाँ के हाथों में रामायण थी और वो बड़ी आस्थापूर्वक नंगे पाँव खडे थे.कारण पूछने पर वे कहते हैं कि मेरे लिए जितनी क़ुरआन पवित्र है उतनी ही रामायण.साबिर खाँ साहब को पूरी रामायण याद है और सभी पुराणों का अध्य्यन भी उन्होने किया है.

रामलीला कमेटी के कार्यकर्ता नागेन्द्र बताते हैं कि यहाँ पर दोनो साम्प्रदाय के लोग बरसों से मिलजुल कर रह्ते है. पास के चन्द्रिका देवी मन्दिर के जीर्णोद्धार में भी मुस्लिम भाइयों ने कारसेवा की.

कमेटी के ऊर्जावान कार्यकर्ता आशिद अली कहते हैं कि ताली एक हाथ से नही बजती हम लोग रामलीला करते हैं तो हिन्दू भाई भी ईद और हमारे अन्य आयोजनों में बढ़ चढ कर हिस्सा लेते हैं.

आज पूरे देश में जहाँ एक ओर साम्प्रदायिक तनाव की चर्चा आम होने लगी है ऐसे में बक्शी के तालाब की यह रामलीला इस बात का सबूत है कि प्रेम से बड़ा कोई धर्म नही है.

24 comments:

Mithilesh dubey said...

इसलिए तो है सबसे प्यारा देश हमारा।

Yogesh Verma Swapn said...

wakai sare jahan se achcha hindostan hamara.

meenu ji aapka mere blog par aane aur comment karne ke liye hardik dhanyawaad.

ओम आर्य said...

इसे ही तो कहते घट घट मे राम का होना.........एक बहुत ही सुन्दर लेख जो धर्म निरपेक्षता को दर्शाता है .........बहुत बहुत धन्यवाद!

समय चक्र said...

सांप्रदायिक सौहार्द्र का अच्छा उदाहरण है फोटो भी जोरदार है ...

sanjay vyas said...

शुक्र है ये आजकल के टोकेनिज्म से बहुत दूर है. संश्लेषण का सुंदर उदाहरण.

Satyajeetprakash said...

इसी समेकित संस्कृति का नाम भारत है और यहां रहने वाले भारतीय.

bijnior district said...

डा सुभाष भदोरिया ने कर्णधारो को ये बताना है शीर्षक की गजल मे लिखा है:?
मंदिरों की करो हिफाजत तुम ,
मश्जिदों को हमे बचाना है।
कैसे कहदें कि तुम पराए हो
तुम से नाता बहुत पुराना है,
तुम दिवाली पे अबके आ जाइयो,
ईद मे हमको अबकी आना है
अशोक मधुप

रवि कुमार, रावतभाटा said...

अच्छे सरोकारों के साथ बखूबी पेश हो रही हैं आप...

Apanatva said...
This comment has been removed by the author.
Apanatva said...

bahut hee accha lekh. kash dharm aur jati kee rajneeti neta khatm karde .

दिगम्बर नासवा said...

ऐसे ही यह प्रमाणित होता है की हमारा देश महान है ........ जय हो भारत भूमि की ......... आपकी विजयदशमी की शुभ कामनाएं .........

राजकुमार ग्वालानी said...

हिन्दु-मुस्लिम एकता की इसी भावना को अगर आतंववादी समझ जाते तो फिर विश्व से समूचे आतंक का सफाया ही न हो जाता। बेमिसाल बात बताई है आपने। इससे उन लोगों को सबक लेने की जरूरत है जो हिन्दु-मुसलमानों की बीच बैर पैदा करने का काम करते हैं।

Saleem Khan said...

मैडम मैंने यह न्यूज़ बहुत पहले अमर उजाला में पढ़ी थी. वैसे ब्लॉग पर पोस्ट किया इसके लिए धन्यवाद!

Alpana Verma said...

waah!Anoothi jaankari!
yahi hai asli bharat!

-विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनायें।

Meenu Khare said...

@सलीम जी वर्षों पहले यह स्टोरी मैने आकाशवाणी के लिए की थी. उसके लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री माननीय अटल बिहारी वाजपेई से पुरस्कार भी प्राप्त हुआ. उसके बाद तो इस स्टोरी की धूम मच गई. शायद ही कोई चैनल या अखबार बचा हो जहाँ इसकी चर्चा न हुई हो. आभारी हूँ बक्शी के तालाब के लोगों की जिनके कारण मुझे प्रोफ़ेशनल जीवन की पहली बड़ी सफलता मिली और उसके बाद मिला कुछ कर दिखाने का जुनून...

मैने हिन्दी ब्लॉग अभी नया नया ही शुरू किया तो दशहरा आते ही याद आए वे स्नेहीजन..जो इतने वर्षों बाद भी हर साल मुझे रामलीला में आमंत्रित करते हैं. इस बार भी डॉ. मंसूर अहमद साहब का फोन आ चुका है, और मैं इस बार भी उन सभी लोगों से मिलने का मौक़ा नही चूकूँगी जिनसे समय के साथ परिवारजनों जैसा स्नेह हो चुका है.

प्रोफ़ेशन जीवन में ईश्वर की कृपा से बहुत कुछ मिला पर आज भी नमन करती हूँ बक्शी के तालाब के उस पहले पड़ाव को जहाँ से मैने पहला क़दम बढ़ाया था.

Saleem Khan said...

great

Naveen Tyagi said...

मीनू जी साम्प्रदायिक सौहार्द की भावना मुसलमानों के रामलीला करने
से या हिन्दुओं के ईद मिलने से मजबूत नहीं हो सकती. जब तक आम मुसलमान
अपने को पहले भारतीय व बाद में इस्लाम से जोड़े और इस बात को माने की
श्री राम ही उसके पूर्वज है. महमूद गजनवी, गौरी अल्लाउद्दीन खिलजी व बाबर नहीं
भारत में तभी सांप्रदायिक सौहाद्र संभव हो सकता है. अन्यथा कभी नहीं. आपके लेख पर मै भी
धनात्मक टिपण्णी कर सकता था,पर जो हो नहीं सकता वो नहीं हो सकता.

Anonymous said...

आज की सबसे बडी जरूरत है ,इस तरह
की बातों को सामने लाना !
मीनू जी हार्दिक बधाई !

गिरिजेश राव, Girijesh Rao said...

रावण जी पसन्द आए। मिलें तो उनका ऑटोग्रॉफ लीजिएगा - मेरे लिए।

RAJ SINH said...

मीनूजी ,
पहली बार आपके ब्लॉग पर आया . काफी कुछ पढ़ डाला ,आनंद के साथ. लेकिन इस रामलीला के आलेख ने मन अभिभूत कर दिया . काश बख्सी तालाब का जज्बा देश भर में पहुँच जाये . क्या से क्या हो जाएँ हम !
बधाई !

poor-me/പാവം-ഞാന്‍ said...

Excited to read this piece of information.Hindu-Muslim unity Jai Ho!

Anonymous said...

धर्म का उद्देश्य - मानव समाज में सत्य, न्याय एवं नैतिकता (सदाचरण) की स्थापना करना ।
व्यक्तिगत (निजी) धर्म- सत्य, न्याय एवं नैतिक दृष्टि से उत्तम कर्म करना, व्यक्तिगत धर्म है ।
सामाजिक धर्म- मानव समाज में सत्य, न्याय एवं नैतिकता की स्थापना के लिए कर्म करना, सामाजिक धर्म है ।
ईश्वर या स्थिर बुद्धि मनुष्य सामाजिक धर्म को पूर्ण रूप से निभाते है ।
धर्म संकट - जब सत्य और न्याय में विरोधाभास होता है, उस स्थिति को धर्मसंकट कहा
जाता है । उस स्थिति में मानव कल्याण व मानवीय मूल्यों की दृष्टि से सत्य और
न्याय में से जो उत्तम हो, उसे चुना जाता है ।
व्यक्ति के कत्र्तव्य पालन की दृष्टि से धर्म -
राजधर्म, राष्ट्रधर्म, प्रजाधर्म, पितृधर्म, पुत्रधर्म ।
यह धर्म भी निजी (व्यक्तिगत) व सामाजिक होते है ।
धर्म सनातन है भगवान शिव (त्रिमूर्ति) से लेकर इस क्षण तक ।
राजतंत्र होने पर धर्म का पालन राजतांत्रिक मूल्यों से, लोकतंत्र होने पर धर्म का पालन
लोकतांत्रिक मूल्यों के हिसाब से किया जाना चाहिए है । by- kpopsbjri

Anonymous said...

धर्म का उद्देश्य - मानव समाज में सत्य, न्याय एवं नैतिकता (सदाचरण) की स्थापना करना ।
व्यक्तिगत (निजी) धर्म- सत्य, न्याय एवं नैतिक दृष्टि से उत्तम कर्म करना, व्यक्तिगत धर्म है ।
सामाजिक धर्म- मानव समाज में सत्य, न्याय एवं नैतिकता की स्थापना के लिए कर्म करना, सामाजिक धर्म है ।
ईश्वर या स्थिर बुद्धि मनुष्य सामाजिक धर्म को पूर्ण रूप से निभाते है ।
धर्म संकट - जब सत्य और न्याय में विरोधाभास होता है, उस स्थिति को धर्मसंकट कहा
जाता है । उस स्थिति में मानव कल्याण व मानवीय मूल्यों की दृष्टि से सत्य और
न्याय में से जो उत्तम हो, उसे चुना जाता है ।
व्यक्ति के कत्र्तव्य पालन की दृष्टि से धर्म -
राजधर्म, राष्ट्रधर्म, प्रजाधर्म, पितृधर्म, पुत्रधर्म ।
यह धर्म भी निजी (व्यक्तिगत) व सामाजिक होते है ।
धर्म सनातन है भगवान शिव (त्रिमूर्ति) से लेकर इस क्षण तक ।
राजतंत्र होने पर धर्म का पालन राजतांत्रिक मूल्यों से, लोकतंत्र होने पर धर्म का पालन
लोकतांत्रिक मूल्यों के हिसाब से किया जाना चाहिए है । by- kpopsbjri

Anonymous said...

वर्तमान युग में पूर्ण रूप से धर्म के मार्ग पर चलना किसी भी आम मनुष्य के लिए कठिन कार्य है । इसलिए मनुष्य को सदाचार एवं मानवीय मूल्यों के साथ जीना चाहिए एवं मानव कल्याण के बारे सोचना चाहिए । इस युग में यही बेहतर है ।

LinkWithin

Related Posts with Thumbnails