Thursday, September 17, 2009
विभाजन के समय मारे गए हज़ारों हिन्दुओं का पिंडदान और तर्पण : तेभ्य: स्वधा
चीड़ वन के आहत मौन को समर्पित, प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ.नीरजा माधव का उपन्यास "तेभ्य:स्वधा" कश्मीर की राजौरी घाटी के शरणार्थी शिविरों में बसे उन हज़ारों अनाम हिन्दुओं को श्रद्धांजलि है जो भारत-विभाजन के समय पाकिस्तान से विस्थापित हुए और बर्बरतापूर्वक मारे गए.
आज पूरा विश्व आतंकवाद के खौफ़नाक साए में जीने को मजबूर है. आतंकवाद की मार से भारत सर्वाधिक घायल है परंतु आतंकवाद की निन्दा और उससे बदला लेने की एक अनूठी कोशिश का नाम है तेभ्य: स्वधा...
यह उपन्यास एक साधारण सी लड़्की मीना की कहानी पर आधारित है जिसका पूरा परिवार राजौरी में बसे शरणार्थियों पर सीमा पार से आए कबायलियों के हमले के दौरान मारा जाता है...साथ ही मारे जाते है पूरे गाँव के लोग... बची रह जाती है केवल एक लड़की मीना जिसे एक आक्रमणकारी कबायली जबरन उठा ले जाता है...लुट जाता है मीना का अस्तित्व...बन जाती है वो मीना से अमीना... पर साधारण सी लगने वाली मीना वास्तव में असाधारण है. कभी हार न मानने वाली लड़्की मीना...आतंकवादी से मीना को एक बेटा पैदा होता है जिसे पिता से जहाँ मज़हब की तालीम मिलती है, वहीं माता से वैदिक धर्म का ज्ञान... यही लड़्का बाद में अपनी माँ के साथ भारत आता है और माता की इच्छा के लिए पूरी श्रद्धा और विधान के साथ, गया जाकर उन हज़ारो लोगो का पिन्डदान व तर्पण करता है जो बरसों पहले राजौरी में मारे गए थे...
कथानक और विषय-वस्तु की द्रष्टि से उपन्यास पठनीय है.मानवीय सम्बन्धों की जटिलताओं और कहीं कहीं विवशताओं का बड़ा मार्मिक चित्रण उपन्यास मे किया गया है.
विद्दा विहार, नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक का विक्रय मूल्य रु.200/- है.
भारत विभाजन और उसके बाद आज तक, साम्प्रदायिक हिंसा और आतंकवाद के कारण मारे गए सभी निर्दोष लोगों को मेरी ओर से भी श्रद्धांजलि और नमन.
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20 comments:
पोस्ट पढ़कर गौतमीपुत्र शातकर्णी, वसिष्ठिपुत्र पुलवामी, दीर्घतमस maamtey और aese ही कई bhinn भिन्न कालखंडों के इतिहास पुरुष याद आये जिन्हें उनकी माता के नाम से जाना गया.
बेहतरीन प्रस्तुति । आपने अपनी खोजी प्रवृत्ति की प्रतिभा का शानदार परिचय दिया है । सही समय पर । कारण कि पितृपक्ष भी है । आभार ।
बहुत अच्छा लिखा है आपने । विचारों की प्रखर अभिव्यक्ति और भाषिक संवेदना ने लेख को प्रभावशाली बना दिया है ।
http://www.ashokvichar.blogspot.com
पुस्तक परिचय के लिए धन्यवाद ! प्लाट जोरदार है मगर घिसा पिटा है !
उपन्यास का उद्देश्य महत्वपूर्ण होता है .
मर्मान्तक बर्बरता झेलने के बाद दुसरो को
शांति देने का प्रयास करने भाव रखने वाली
नारी असाधारन है ...आवश्य पठनीय है !
प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ.नीरजा माधव का उपन्यास "तेभ्य:स्वधा" का परिचय अच्छा लगा .. इस प्रकार की कहानियों से हम सीख लें .. यह उनलोगों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी !!
ek shandar post .....kafi accha laga Dr. Niraj Madhaw ki rachna ka yah roop padhkar .......
पुस्तक परिचय के लिए धन्यवाद!
कथावस्तु रोचक है!
पुस्तक का परिचय पढ़ने के बाद अब पुरी पुस्तक पढ़ने की इच्छा हो रही है
meenu pushtak parichay ati uttam.maine swayam bhi ise padha ha.SACHMUCH YEH JAKHJHOR DENE WALI PUSHTAK HAI.Meena ke bahane hum sab ko kuch sochne par vivash karta hai.Prasangik is sandarbh mein yeh ghatnaye abhi bhi ho rahi hain.Is KAUNDH[spark] ke liye DR NEERJA MADHAV ko dhanyabad.
अच्छे उपन्यास की अच्छी जानकारी।कोशिश करूंगा यह उपन्यास जल्द ही खरीदकर पढ़ूं।
हेमन्त कुमार
ऐसा नया तो कुछ नही है इस कहानी मे .. समीक्षा ऐसी हो कि पाठक पढ़ने की ओर प्रव्रत हो
एक सुन्दर जानकारी..... .....जिज्ञाशा और भी बढ गयी........सुन्दर प्रस्तुति
acchi paricharcha
mulya bhui kuch zayada nahi hai....
...dekhta hoon yadi yeh pustak meri library main uplabdh hai to...
:)
अच्छी जानकारी ...........और चित्र भी , आकाशवाणी में मीनू खरे का होना इससे भी सुन्दर है ........बहुत बहुत बधाई .
MARMIK CHITRAN EK DARD JO HAME HMARE MAA BAAP SUNATE THEY AAJ PHIR USKI YAD AAPNE TAAJA KARDI . ASHOK KHATRI
मीनू जी अच्छी पुस्तक की जानकारी के लिए धन्यवाद.
आप अपनी रचनाये मेरे पाक्सिक समाचार पत्र
राष्ट्र-समिधा के लिए भेजे.
मेरी ईमेल naveenatrey@gmail.in hai.
Achhee jaankaari is pustak ki ....
JAI MATA DI ,MAN KO SHANTI MILI -----------
भारत की सबसे दुखद घटना "विभाजन"
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