कई कारणों से आज का दिन मेरे लिए एक विशिष्ट दिन है. पहला,आज 09-09-09 है, जो स्वयँ में एक अद्वितीय तिथि है. दूसरा, तीन बार नौ अंकों वाली इस दुर्लभ तारीख को आश्विन मास कृष्ण पक्ष की पंचमी भी पड़ रही जो मेरे पूज्य पिताजी की श्राद्ध तिथि है और तीसरा यह कि सँयोग से आज ही मेरा जन्म-दिन भी है. इतने सारे सँयोगों वाली यह तिथि निसन्देह मेरे जीवन में पहली और आखिरी बार आई है और इन अद्भुत सँयोगों के चलते, आज के दिन बिल्कुल अलग तरह की मानसिक अनुभूतियों से घिरी हूँ मैं.
हर वर्ष मेरा नौ सितम्बर का दिन अपने लोगों की शुभकामनाओं और अपनेपन के उल्लास के बीच बीतता है. शायद एक रेडियो प्रोड्यूसर और प्रेज़ेंटर होने के कारण इतने सारे लोगों का जुड़ाव मुझसे है. कुछ लोग मिल कर मुझे बधाइयाँ प्रेषित करते हैं तो कुछ लोग फोन द्वारा. आज के दिन, अक्सर मेरा फोन बिना रूके बजता रहता है..फोन अटेंड करने पर कुछ के बधाई सन्देश प्राप्त होते हैं तो कुछ के उलाहने कि मेरे लिए तो आपके पास समय ही नही. सच, मैं मंत्रमुग्ध सी रह जाती हूँ, ईश्वर की इस अनुकम्पा पर कि उसने मुझे इतने सारे स्नेहिल लोग दिए. आज फिर नौ सितम्बर थी. फोन तो आज भी सारा दिन बजा किया, कभी कभी तो लाइव स्टूडियो के कारण फ़ोन स्विच ऑफ़ भी करना पड़ा पर फ़िर भी आज का दिन कुछ अलग मनोवेगों के बीच बीता... आज मेरे प्यारे डैडी का श्राद्ध भी तो था न !
26 दिसम्बर 1995 का वो दिन जब मैने अंतिम बार अपने डैडी को स्पर्श किया था. एक हिमशिला जैसा उनका ठंडा शरीर मुझमें एक अजब सिहरन भर गया था. मृत्यु कितनी शीत होती है.. वो आदमी को ठंडा कर देती है सदा के लिए.. फ़्रीज़ हो जाता है समय तक जैसे ... डैडी क्या गए मानो मेरे मन में बस गया एक पूरा का पूरा हिमखण्ड जो जब तब पिघलता रहता है..और मैं भीगा करती हूँ डैडी की यादों में.
दुनिया की हर लड़्की की तरह मैं भी कहा करती हूँ कि मेरे डैडी दुनिया के सबसे अच्छे पिता थे..बहुत अमीर रिश्तेदारों के बीच, साधारण आर्थिक स्थिति वाले मेरे डैडी बेहद असाधारण थे क्यों कि केवल दो बेटियों का पिता होने पर भी मैने उन्हे कभी बेटे के लिए तरसते नही पाया... अपनी दोनों बेटियों की परवरिश उन्होने बेटों से बढ कर की. अपनी कड़ी मेहनत की कमाई सँयुक्त परिवार के तमाम विरोधों के बावजूद उन्होने बेटियों की शिक्षा पर भरपूर लुटाई...डैडी चाहते थे कि हम दोनो बहने हर तरह से योग्य बने. उन्हे अपनी आर्थिक क्षमता और बेटियों के नाम पर समाज के चैलेंज का पूरा अहसास था शायद तभी तो कभी कभी मेरी तरफ़ बडी हसरत से देख कर वे कहा करते थे " बिटिया तू एक बार मेरा नाम कर दे दुनिया में..." डैडी से अंतिम विदा लेते समय उनके पैर छूकर मैने आसमान छू लेने की उनकी इच्छा पूरी करने का जो वायदा किया था वो एक पल भी चैन से बैठने नहीं देता...हर पल प्रयास जारी है.
और हाँ डैडी, आपके जाने के बाद से हर पितृपक्ष में, मैने आपके लिए तर्पण और श्राद्ध कर्म पूरी निष्ठा से किया है...कुछ लोग कहते हैं कि बेटी का तर्पण पित्तरों तक नही पहुँचता. डैडी मैं आपकी ही तो बेटी हूँ ना! आपका ही एक अंश! मुझे समाज के इस तरह के चैलेंज फेस करने के आपके तरीके पूरी तरह याद हैं...किसी से कुछ कहने-सुनने से बेहतर है, अपनी धुन में ,अपने उद्देश्य के लिए निरंतर कर्म करते जाना. इसी नियम से आपको सफल होते देखा है मैने सदा... आज मेरी बारी है... मैं पूरी निष्ठा से आपके लिए तर्पण करती हूँ और जैसे किसी पत्र पर पाने वाले का नाम पता लिख दिया जाता है, वैसे ही अर्घ्य की हर बूँद पर भावनाओं की स्याही से लिख देती हूँ " मेरा तर्पण डैडी तक पहुँचे..."
मुझे आस्था की शक्ति पर पूरा विश्वास है.
मुझे मालूम है, मेरा तर्पण आप तक पहुँच चुका है डैडी...
आपकी बेटी,
मीनू
31 comments:
विस्मित करने वाली स्थितियाँ हो गईं आज आपके लिए,
जन्मदिन मुबारक हो जी !
बहुत ही स्नेहभरा पोस्ट ......आन्खे भर आयी ....जिन्दगी कुछ ऐसी ही जज्बे का नाम होता है .......जिसे जानकर उर्जा का संचार होने लगे शरीर मे ......हम सभी ब्लोगर्स को भी नाज है आपपर......बहुत ही सुन्दर भावनाओ से रुबरु करवाया .......इसके लिये शुक्रिया
जन्मदिन मुबारक हो.......
sahi hai zindagi aise hi jazbe ka naam hai.....janmadin par shubhkamnaen.
जन्मदिन मुबारक हो .. कहा जाता है कभी खुशी कभी गम .. पर आपके लिए तो आज का दिन खुशियां और गम दोनो लेकर आया है .. ईश्वर की लीला भी विचित्र है !!
सुन्दर! आपका जन्मदिन अनूठा रहा। एक बार फ़िर से बधाई!
great post, happy b'day!
जी भर गया इसे पढ़ कर । कुछ ऐसा ही घटा मेरे साथ भी 28 अगस्त 2009 को। मेरे पिताजी की 28वीं पुण्यतिथि को,जितने दिन वो इस दुनियां मे जीये थे,28 अगस्त को मेरी भी उम्र ठीक उतनी ही थी । इस संयोग को नियति का खेल भी कह सकते हैं ।
स्वर्गीय पिता जी को सादर श्रद्धांजली ,जन्म की दिन बधाई पहले ही दे चुका हूँ !
-मीनू जी,आप के पिता जी को सादर श्रद्धांजली .
-जन्मदिन ki wishes कल अनूप जी के ब्लोग पर दे आयी थी आज फिर से एक बार बहुत बहुत बधाईयां.
अब समझ में आया कि कल आपका फोन क्यों ऑफ था।
आपके पिता जी को हार्दिक श्रद्धांजलि।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
shayd isi ka nam gindgi hai.....
aap jaise log pichhe nhi hatne walo me se hai...hm betiyo ka trpn daidi tk aavshy phunchega !
आपने अद्भुत गहनता के साथ अपने पिताजी को स्मरण किया...मुझे विश्वास है वह आपको और शक्ति तथा प्रेरणा देंगे अनेक शुभ कार्य करने के लिए.......जन्ह दिन पर थोडा सा स्नेह इस भाई की और से भी...बहुत मार्मिक है आपका कथ्य....
indeed very touching.EK BAHADUR PITA KI BAHADUR BETI HO TUM.we all around you feel proud of you.AGAIN MANY HAPPPY RETURNS OF THE DAY 9TH SEPT.
श्राद्ध का अर्थ श्रद्धा से है जो भावनात्मक
संबंधो पर निर्भर करती है . माता पिता तो
श्रद्धा के पात्र होते है जिनके कारण हमने
इस धरा पर जन्म लिया है .. श्राद्ध पर्व
पर अच्चा आलेख के लिए धन्यवाद.
कितनी अनोखी बात हुई न ! आज ही आपका जन्मदिन और आज ही आपके पिता का निर्वाण- दिन उसके साथ इस वर्ष तारीख भी अनोखी ..........बेटी के द्वारा पिता का तर्पण ,सचमुच आपने एक परंपरा की शुरुआत की है .......पिता को मेरी विनम्र श्रधांजलि.
आपको बधाई तो किसी और पोस्ट में दे आया था . यहाँ आ कर आंसू आ गए
दीदी ,
आपको जन्मदिन की बहुत बहुत शुभकामनाएं |
अंकल जी को मेरा प्रणाम |
आपकी मनोदशा मैं भालीभाती समझ रहा हूँ | १ बेहद निजी बात आप से शेयर कर रहा हूँ , मेरा विवाह ०७/०२/२००६ को हुआ ठीक उस दिन मेरी बुआ जी ने दोपहर १:२० पर एक लम्बी बीमारी के बाद इस दुनिया को अलविदा कहा |
आपने जो तर्पण वाली बात लिखी है उस पर सिर्फ इतना कहूँगा कि जो बेटे अपने माता - पिता के बुढापे की लाठी नहीं बनते, क्या उनका तर्पण उनके स्वर्गवासी माता - पिता तक जाता है ??
अगर हाँ, तो आप तो उनसे बहुत श्रेष्ट है |
आपका विश्वाश खरा है उस पर आदिग रहे |
सादर
आपका अनुज
शिवम्
आप के पिता जी को सादर श्रद्धांजली.....................................................
अरे शिवम तुमने तो मेरी आँखों में स्नेह के आँसू ला दिए...
इस अपनेपन के लिए आभारी हूँ तुम्हारी.
---
मीनू
मीनूजी आपका तर्पण जरूर पितरों तक पहुंचेगा।
aapko janam din ki bahoot bahoot mubaarak aur meri prarthna hai ki aapka tarpan jaroor aapke pitro tak pahunche ...... aaqpmi maarmik aur man se nikli bat jaroor poori hogi ....
मीनू जी ... आपका तर्पण आपके पिता को जरुर पहुंचा है |
हमारे धर्म मैं भाव का बड़ा महत्व है | सच्छे भाव से किया गया आपका तर्पण सफल है ...
aapke pitaaji ko saadar shradhanjali..
jin bhavuk shabdoan se aapne man ko bayan kiya hai...wo vastav mein prashanshneey hain...
मीनू जी ,
नि:शब्द हूँ आपका लेखन पढ़के .....!!
जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई .....!!
आसमान तो आप छू ही रही हैं .....!!
बहुत मार्मिक पोस्ट. मन भावुक हो उठा.मेरी बेटी मुझसे दूर रहती है.. जाने क्यों अपनी बेटी का चेहरा याद आ गया... काश हर बेटी अपने पिता के लिए ऐसा ही करे.
मीनू जी सबसे पहले आपके पिता को प्रणाम करता हूँ,उसके बाद बधाई देता हूँ आपको आपके जन्मदिन की।
और धन्वाद देता हूँ मेरे ब्लॉग का अनुसरण करने के लिए।
एक बात और कहना चाहूँगा किपिता को पुत्री से व पुत्री को पिता से कुछ ज्यादा ही प्यार होता है। अगर मै १ दिन के लिए भी बहार रुक जाता हूँ तो मेरी बेटी अनाहिता पूरी रात रोते हुए निकाल देती है।
जब कोई दर्द आता है, तो उस दर्द को बर्दाश्त करने की शक्ति भी कहीं से आ जाती है। अब आपका जन्म दिन भी इसी दिन आया है, तो आपको शुभकामनाएं देना चाहंूगा। गला भर आया है,,यूं समझिए कहना भी चाह रहा हंू और कह भी नहीं पा रहा हंू...
दर्द भी क्या चीज़ है हर वक्त साथ चलता है खुशी मे भी आँखें नम हो गयी पोस्ट पढ कर
जन्म दिन की शुभकामनायें
दीदी,
प्रणाम |
मौका मिले तो मेरी यह पोस्ट जरूर देखे :-
http://jaagosonewalo.blogspot.com/2009/09/blog-post_12.html
शेष शुभ |
हिंदी दिवस की बहुत बहुत शुभकामनाये |
aapke is tarpan ne meri aankhen nam kar din......amarjeet
मीनू जी आपको बहुत दिनों से आकाशवाणी लखनऊ पर सुना करता हूँ १००.७ पर आप लोग तो ग़ज़ब ही ढाते रहते हो. आज आपकी यह पोस्ट पढ़कर लगा कि दुनिया में पुरुष ने स्त्री को बहुत सारी सीमाओं में भले ही बाँध दिया हो पर आपके डैडी जैसे इन्सान बहुत कम ही होते हैं पुरुष प्रधान समाज में. आप खुश किस्मत रहीं कि आपने पुरुष के मन में नारी के सम्मान वाली बात भी महसूस की. निसंदेह आपका विश्वास सच्चा है और डैडी को आपका अर्पण मिल रहा है तभी तो वे भी आप जैसी बेटी पर गर्व कर रहे होंगें.
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