(वैलेंटाइन-डे पर एक टीनेजर की नोटबुक से कविता )
तुम्हारे प्यार की घंटी को बजना है,
मेरे सोये हुए मन को जगाने के लिए
पर तुम्हारे हाथ
कभी उस ओर बढते हुए नही पाए गए.
मेरे चारो ओर खड़े लोगों में से
कुछ की फुसफुसाहट सरकती हुई
मेरे कानो में घुसती है
कि मैं किसी भी तरह
खींच लाऊँ तुम्हारे हाथों को
घंटी तक
जिसे बजना है
पर
मेरी कोमल भावनाएँ
बहुमूल्य हैं
उन्हें मैं छोटे-छोटे मदों में खर्च नही करती...
सहेज कर रखती हूँ
अपने मन के बैंक में.
बड़ी खुद्दार हैं मेरी भावनाएँ
बिलकुल मेरी तरह.


पर क्या कभी कभी खुद्दारी छोड़ी नहीं जा सकती ... कभी कभी ... कुछ खास लोगो के लिए ??
ReplyDeleteसंभावना को मरना पड़ता है क्यूंकि घंटी कई बार कोई बजाता ही नहीं । प्यार के अलावा भी हर कहीं ये होता है । बहुत अच्छा लगा पढ़कर । धन्यवाद ।
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया अभिव्यक्ति .
ReplyDeleteबहुत ही शुभ कामनाएं
सच कहा आपने। कोमल भावनायें तभी व्यक्त हों जब उनका मूल्य हो।
ReplyDeleteaapka dhanaywaad
ReplyDeleteyaden taza hui
humari kamiya bhi batate rahiye
yaden ko dekhte rahiye
ye khuddar bhawnayen hi asli valentine hain
ReplyDeleteबेहतरीन पंक्तियाँ
ReplyDeleteसादर
सही बात . भावनाएं व्यक्तिगत ही नहीं अनमोल भी होती हैं.
ReplyDeleteपर
ReplyDeleteमेरी कोमल भावनाएँ
बहुमूल्य हैं
उन्हें मैं छोटे-छोटे मदों में खर्च नही करती...
Sundar !
मैं वृक्ष हूँ। वही वृक्ष, जो मार्ग की शोभा बढ़ाता है, पथिकों को गर्मी से राहत देता है तथा सभी प्राणियों के लिये प्राणवायु का संचार करता है। वर्तमान में हमारे समक्ष अस्तित्व का संकट उपस्थित है। हमारी अनेक प्रजातियाँ लुप्त हो चुकी हैं तथा अनेक लुप्त होने के कगार पर हैं। दैनंदिन हमारी संख्या घटती जा रही है। हम मानवता के अभिन्न मित्र हैं। मात्र मानव ही नहीं अपितु समस्त पर्यावरण प्रत्यक्षतः अथवा परोक्षतः मुझसे सम्बद्ध है। चूंकि आप मानव हैं, इस धरा पर अवस्थित सबसे बुद्धिमान् प्राणी हैं, अतः आपसे विनम्र निवेदन है कि हमारी रक्षा के लिये, हमारी प्रजातियों के संवर्द्धन, पुष्पन, पल्लवन एवं संरक्षण के लिये एक कदम बढ़ायें। वृक्षारोपण करें। प्रत्येक मांगलिक अवसर यथा जन्मदिन, विवाह, सन्तानप्राप्ति आदि पर एक वृक्ष अवश्य रोपें तथा उसकी देखभाल करें। एक-एक पग से मार्ग बनता है, एक-एक वृक्ष से वन, एक-एक बिन्दु से सागर, अतः आपका एक कदम हमारे संरक्षण के लिये अति महत्त्वपूर्ण है।
ReplyDeleteमेरी कोमल भावनाएँ
ReplyDeleteबहुमूल्य हैं
उन्हें मैं छोटे-छोटे मदों में खर्च नही करती...
सहेज कर रखती हूँ
अपने मन के बैंक में.
बड़ी खुद्दार हैं मेरी भावनाएँ
बिलकुल मेरी तरह.
लगता है अभी नये जमाने की उसे हवा नही लगी। सुन्दर रचना के लिये उस टीनेजर को बधाई।
मीनू जी मेरे ख्याल से मैंने आपके दोनों ब्लाग पहले ही जोङ दिये हैं । लेकिन कल सुबह तक फ़िर चेक
ReplyDeleteकर लूँगा । सहयोग के लिये आभार । .
मेरी कोमल भावनाएँ..बहुमूल्य हैं
ReplyDeleteउन्हें मैं छोटे-छोटे मदों में खर्च नही करती...सहेज कर रखती हूँ
अपने मन के बैंक में...बड़ी खुद्दार हैं मेरी भावनाएँ
बिलकुल मेरी तरह.
कमाल है..ऐसी भी बेटियाँ हैं । अपने देश में ।
बेहद सुखद फ़ीलिंग हुयी ।
अति सुन्दर ।
मेरी कोमल भावनाएँ
ReplyDeleteबहुमूल्य हैं
उन्हें मैं छोटे-छोटे मदों में खर्च नही करती...
सहेज कर रखती हूँ
अपने मन के बैंक में.
बड़ी खुद्दार हैं मेरी भावनाएँ
बिलकुल मेरी तरह.
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति !
.बड़ी खुद्दार हैं मेरी भावनाएँ
ReplyDeleteबिलकुल मेरी तरह. बहुत सुंदर है ये आपकी खुद्दारी ! सदा बनी रहे !
सच में अनमोल होती हैं भावनाएं...... सुंदर बिम्ब ...सुंदर विषय लेकर रची पंक्तियाँ.....
ReplyDeleteइस टीनेजर की घंटी बजी या नहीं इस वेलेंटाईन में बतईयेगा मीनू जी .......
ReplyDelete@हरकीरत ' हीर'
ReplyDeleteपूछ कर बताऊंगी जी :)
बहुत ही प्यारी कविता है।
ReplyDelete---------
ब्लॉगवाणी: ब्लॉग समीक्षा का एक विनम्र प्रयास।
सवालो के साये में बस इतना पूछता हूँ की क्या कोई अपना भी है? लगातार, अविरल, बिना रुके....
ReplyDeleteशायद कोई तो हो जो जवाब दे....
अच्छा लेखन, अच्छे भाव, लगे रहियेगा..
आपका अनुज..
धीरेन्द्र गुप्ता"धीर"
भावना का खुद्दार होना . व्यक्त करने से पहले हज़ार बार सोचना . टीन उम्र में ऐसी परिपक्व सोच . पढ़कर मन प्रफुल्लित हुआ .
ReplyDeleteनमस्कार !
ReplyDeleteमीनू मेम !
आप के ब्लॉग पे पहली बार आने का सौभाग्य प्राप्त हुआ , अच्छी रचना लगी , साधुवाद ,
सादर
बड़ी खुद्दार हैं मेरी भावनाएँ
ReplyDeleteबिलकुल मेरी तरह...
बहुत अच्छा लगा आपको पढ़ना...
बड़ी खुद्दार हैं मेरी भावनाएँ
ReplyDeleteबिलकुल मेरी तरह...
बहुत अच्छा लगा आपको पढ़ना...
बड़ी खुद्दार हैं मेरी भावनाएँ
ReplyDeleteबिलकुल मेरी तरह...
बहुत अच्छा लगा आपको पढ़ना...
बड़ी खुद्दार हैं मेरी भावनाएँ
ReplyDeleteबिलकुल मेरी तरह...
बहुत अच्छा लगा आपको पढ़ना...
Nice post. The bell will ring hopefully.
ReplyDeleteबहुत कोमल और खुद्दार भावनाएं हैं ...यहाँ प्रस्तुत करने हेतु आभार!
ReplyDeletebahut hi acchi aur pyaar kavita pyaar ke naam par .. ahsaaso se bhari hui ..
ReplyDeletebadhayi sweekar kare.
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मेरी नयी कविता " तेरा नाम " पर आप का स्वागत है .
आपसे निवेदन है की इस अवश्य पढ़िए और अपने कमेन्ट से इसे अनुग्रहित करे.
"""" इस कविता का लिंक है ::::
http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/02/blog-post.html
विजय
वाकई बिना मूल्य के भावनाएं व्यक्त करने का क्या औचित्य .
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति.
सराहनीय लेखन कोटि-कोटि बधाई।
ReplyDeleteआपका होली के अवसर पर विशेष ध्यानाकर्षण हेतु.....
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देश को नेता लोग करते हैं प्यार बहुत?
अथवा वे वाक़ई, हैं रंगे सियार बहुत?
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होली मुबारक़ हो। सद्भावी -डॉ० डंडा लखनवी
What heyday isn't today?
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