आपकी कवितायें जीवन के विपर्ययों ,विराधाभासों को उभारती हैं और इस तरह कतिपय नंगी ,विद्रूप सच्चाईयों को उजागर कर जीवन की विसंगतियों पर कटाक्ष करती हैं -इसी क्रम की एक हस्ताक्षर कविता !
किंतु ज्यों ही पनपे थे वे थोड़ा कि उखाड़ कर बो दिया गया उन्हे अन्यत्र कहीं----- Meenu ji, bahut kam shabdon men apne ek atyant prabhavshalee kavita likhee hai.....
waah kya pratikatmakta...nirjeev me jeevan khoj liya...
ReplyDeletehttp://dilkikalam-dileep.blogspot.com/
बहुत कुछ सोचने पर विवश करती है ये कविता।
ReplyDeleteबहुत गहराई से लिखा है ...
ReplyDeleteसुंदर पोस्ट
ReplyDeleteआपकी कवितायें जीवन के विपर्ययों ,विराधाभासों को उभारती हैं और इस तरह कतिपय नंगी ,विद्रूप सच्चाईयों को उजागर कर जीवन की विसंगतियों पर कटाक्ष करती हैं -इसी क्रम की एक हस्ताक्षर कविता !
ReplyDeleteवाह क्या बात है मीनू जी ! नर्सरी के जरिये आपने बहुत मार्मिक और सच्ची बात लिख दी ...हार्दिक शुभकामनाएं ।
ReplyDeletekya khub kaha hai aapne..
ReplyDeleteनर्सरी..dekh mai bhi yahi mehsuusti huun
ReplyDeleteमेरी गोद सदा सूनी
ReplyDeleteजबकि
मैं बाँझ नहीं
-----
नर्सरी तुम बांझ नहीं हो
तुम्हारे जन्में पौधों को तो
परवरिश की जरूरत थी
इसलिये उन्हें उर्वर जमीन दी गयी
@ वर्मा जी भूमि तो नर्सरी की सबसे अधिक उर्वर होती है....
ReplyDeleteसच में, बहुत गहरा अर्थ समेटे हुये है यह कविता. ये उसी तरह से है कि किसी की गोद किराये पर लेकर, बच्चे के जन्म लेने पर उसे किसी और को दे दिया जाये.
ReplyDeleteविरोधाभास व्यक्त करती हुई सार्थक कविता ! बधाई मीनू जी ! हाइकु के समानांतर चलते रहिये !!
ReplyDeleteगहरी कविता..बढ़िया तस्वीर!!
ReplyDeleteब्लॉग का कलेवर बदला हुआ अच्छा लगा.
Kya kalpana hai!wah !
ReplyDeleteकिंतु ज्यों ही
ReplyDeleteपनपे थे वे थोड़ा
कि
उखाड़ कर बो दिया गया
उन्हे
अन्यत्र कहीं-----
Meenu ji,
bahut kam shabdon men apne ek atyant prabhavshalee kavita likhee hai.....
गहरे भाव, सार्थक अभिव्यक्ति।
ReplyDelete--------
गुफा में रहते हैं आज भी इंसान।
ए0एम0यू0 तक पहुंची ब्लॉगिंग की धमक।
रचना गहरे तक यात्रा करती है ।
ReplyDeleteWe r Waiting 4 ur new post pl.
ReplyDeletebahot sunder.wah.
ReplyDeleteआपके ब्लाग पर उल्लास से आया था। बहुत उल्लास पाया। पर थोड़े ही शब्दों में बहुत गहरी बात आप कह गईं। बधाई।
ReplyDeletehttp://utsahi.blogspot.com गुल्लक
bahut sundar bhav hai ....
ReplyDeleteiisanuii.blogspot.com
Meenu jee, maan gaye....
ReplyDeleteKise? Aaapki paarkhi nazar aur nursury ke dard, dono ko.....
sunder sa ahsas dila diya hai aapne..............
ReplyDeletevery good blog.
ReplyDeleteitna achcha laga ki aankh me aansu aa gaye.laddoo
ReplyDelete