Sunday, April 18, 2010

नर्सरी का दर्द








मैं
नर्सरी की भूमि हूँ.

मेरी कोख में
अनेक बीज बोए गए
अनेक बार

किंतु ज्यों ही
पनपे थे वे थोड़ा
कि
उखाड़ कर बो दिया गया
उन्हे
अन्यत्र कहीं

मेरी गोद सदा सूनी
जबकि
मैं बाँझ नहीं.

25 comments:

  1. waah kya pratikatmakta...nirjeev me jeevan khoj liya...

    http://dilkikalam-dileep.blogspot.com/

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  2. बहुत कुछ सोचने पर विवश करती है ये कविता।

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  3. बहुत गहराई से लिखा है ...

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  4. सुंदर पोस्ट

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  5. आपकी कवितायें जीवन के विपर्ययों ,विराधाभासों को उभारती हैं और इस तरह कतिपय नंगी ,विद्रूप सच्चाईयों को उजागर कर जीवन की विसंगतियों पर कटाक्ष करती हैं -इसी क्रम की एक हस्ताक्षर कविता !

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  6. वाह क्या बात है मीनू जी ! नर्सरी के जरिये आपने बहुत मार्मिक और सच्ची बात लिख दी ...हार्दिक शुभकामनाएं ।

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  7. kya khub kaha hai aapne..

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  8. नर्सरी..dekh mai bhi yahi mehsuusti huun

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  9. मेरी गोद सदा सूनी
    जबकि
    मैं बाँझ नहीं
    -----
    नर्सरी तुम बांझ नहीं हो
    तुम्हारे जन्में पौधों को तो
    परवरिश की जरूरत थी
    इसलिये उन्हें उर्वर जमीन दी गयी

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  10. @ वर्मा जी भूमि तो नर्सरी की सबसे अधिक उर्वर होती है....

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  11. सच में, बहुत गहरा अर्थ समेटे हुये है यह कविता. ये उसी तरह से है कि किसी की गोद किराये पर लेकर, बच्चे के जन्म लेने पर उसे किसी और को दे दिया जाये.

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  12. विरोधाभास व्यक्त करती हुई सार्थक कविता ! बधाई मीनू जी ! हाइकु के समानांतर चलते रहिये !!

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  13. गहरी कविता..बढ़िया तस्वीर!!


    ब्लॉग का कलेवर बदला हुआ अच्छा लगा.

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  14. किंतु ज्यों ही
    पनपे थे वे थोड़ा
    कि
    उखाड़ कर बो दिया गया
    उन्हे
    अन्यत्र कहीं-----
    Meenu ji,
    bahut kam shabdon men apne ek atyant prabhavshalee kavita likhee hai.....

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  15. रचना गहरे तक यात्रा करती है ।

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  16. We r Waiting 4 ur new post pl.

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  17. आपके ब्‍लाग पर उल्‍लास से आया था। बहुत उल्‍लास पाया। पर थोड़े ही शब्‍दों में बहुत गहरी बात आप कह गईं। बधाई।
    http://utsahi.blogspot.com गुल्लक

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  18. bahut sundar bhav hai ....

    iisanuii.blogspot.com

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  19. Meenu jee, maan gaye....
    Kise? Aaapki paarkhi nazar aur nursury ke dard, dono ko.....

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  20. sunder sa ahsas dila diya hai aapne..............

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  21. very good blog.

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  22. itna achcha laga ki aankh me aansu aa gaye.laddoo

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