Monday, November 30, 2009

लव स्टोरी 2009

(वर्ल्ड एड्स डे पर विशेष)




लव-स्टोरी 2009 एक सच्ची प्रेम कथा है.किसी भी सामान्य फ़िल्मी कहानी से मिलती जुलती इस कहानी में भी एक लड़का है,एक लड़की है,फ़िल्में हैं, पार्क है, मोहब्बत की शुरुआत है,प्यार का इज़हार है,भविष्य के सपने हैं, रूठना-मनाना भी है और इस सबके बाद शादी नाम का सुखांत भी है,मगर फिर भी यह कहानी सब कहानियों से अलग हट कर है. क्यों? कैसे? अरे भाई इस कहानी में प्यार का अंकुर उस बिन्दु पर फूटता है जिसे प्राय: जीवन का अंत कहा जाता है.मगर इस अंकुर से उगा प्रेम वृक्ष जीवन के नए आयाम और मानदण्ड स्थापित करता है. एक वायरस के इर्द-गिर्द घूमने वाली यह कहानी है--हैदराबाद के राजशेखर और स्वपना के अनोखे प्रेम की. मगर इससे पहले एक नज़र स्वप्ना के जीवन के पिछले पन्नों पर.

अपने माँ-बाप की इकलौती संतान स्वप्ना ने जब पति का घर सदा के लिए छोड़ा तो उसकी गोद में एक बेटा था, शरीर के ऊपर पति की प्रताड़ना के सैकड़ों निशान और शरीर के अन्दर था HIV नामक वाएरस. जीवन भयावह प्रतीत हो रहा था, पति की बेवफाई आँखों से आँसू बन कर बह निकलती थी. अपने ऊपर रह 2 कर रोना आता था कि पति के ग़लत सम्बन्धों की सज़ा आखिर ईश्वर ने उसे क्यों दी? आत्महत्या के विचार उसे चारो ओर से घेर रहे थे पर अपने मासूम बच्चे की ममता उसे ऐसा करने से रोक देती थी.यह बच्चे की ममता की ही शक्ति थी जिसने वायरस को भी हरा दिया और स्वप्ना आगे बढ़ चली एक HIV काउंसिलर बन कर दूसरों को पॉज़िटिव जीवन की सलाह देने.अपने सेंटर पर वो लोगों को HIV से बचने के उपाय समझाती साथ ही यह भी बताती कि HIV+ होने का अर्थ जीवन का अंत नहीं. अपने सेंटर पर स्वप्ना ने HIV पॉज़िटिव लोगों का एक संगठन बनाया और सबने मिल कर एक सामूहिक शपथ ली " हम अपने शरीर में रह रहे HIV वाएरस को किसी और तक नही फैलने देंगे.इस वाएरस का अंत हमारे जीवन के साथ ही होगा और हम अपने जैसे पॉज़िटिव लोगों के लिए रोल मॉडल बनकर उनको केयर और सपोर्ट देकर एक नया जीवन देंगे." स्वप्ना जब यह शपथ ले रही थी उसे नही मालूम था कि यह शपथ उसके जीवन में वो रंग भर देगी जिसकी अब वो कल्पना भी नही कर सकती थी.

स्वप्ना एक दिन अपने चैम्बर में बैठी थी कि उसके पास राजशेखर नामका एक HIV पॉज़िटिव युवक आया जो अपने जीवन से हताश था.राजशेखर को एक ऑपरेशन के दौरान HIV हुआ था. स्वप्ना ने उसे भी वैसी ही सीख दी जो वो आमतौर पर ऐसे लोगों को दिया करती थी.राजशेखर किसी मुकदमें को लेकर बहुत परेशान था जहाँ पर एक काउंसिलर के रूप में स्वप्ना की गवाही की ज़रूरत थी.स्वप्ना ने राजशेखर की भरपूर सहायता की, उसके फेवर में गवाही भी दी. और उसी मुकदमे में जीत से ही शुरू हुई स्वप्ना और राजशेखर के जीवन की यह सच्ची प्रेम कहानी.राजशेखर ने कहा

"हम अगर शादी कर लें तो हमारा वायरस हम तक ही रहेगा..हम एक दूजे को केयर और सपोर्ट से नया जीवन दे सकते हैं..यही तो शपथ हमने अपने संगठन में ली है स्वप्ना? क्या तुम्हे यह प्रस्ताव स्वीकार है?"

"मगर मेरा बेटा?"

" उसकी ज़िम्मेदारी मेरी है. मैं यक़ीन दिलाता हूँ कि एक पिता का प्यार मैं हमेशा इस बच्चे को दूँगा."

स्वप्ना कुछ बोल न सकी. पिछले जीवन के काले साए अभी तक उसका पीछा कर रहे थे.

राजशेखर ने कहा
" स्वप्ना तुमने मेरी जितनी सहायता की है उसी के कारण आज मैं जीना सीख पाया हूँ. अब प्रस्ताव ठुकरा कर मुझसे मेरी ज़िन्दगी मत छीनो."

राजशेखर की बातों में स्वप्ना की आँखों ने सच्चाई देखी. प्यार का अंकुर फूट चुका था. उसके बाद बाकायदा शुरू हुई एक फिल्मों जैसी प्रेम कहानी. फिल्मों, पार्कों, रेस्त्राँ और फूड कॉर्नर्स ने दोनो को यह भुला ही दिया कि उनके शरीर में एक खतरनाक वाएरस भी है. प्यार की कहानी में शादी का अहम मोड़ भी आया और दोनो सदा के लिए एक दूजे के हो गए. आज दोनो खुशहाल हैं.स्वप्ना कहती है "मुझे अगले जन्म में भी राजशेखर ही चाहिए." यह पूछने पर कि दोनो ही एचआईवी पोजिटिव हैं तो क्या जीवन के लिए डर नही लगता राजशेखर जवाब देते हैं कि "अगर ऐक्सीडेंट में डेथ हो जाए तो तुरंत ही मर जाते है जबकि एचआईवी पोजिटिव तो 15-20 साल तक भी जी सकते है. तो फिर डर कैसा?"

पोजिटिव - पोजिटिव शादी को एचआईवी का प्रसार रोकने का एक महत्वपूर्ण उपाय मानने वाले इस दंपत्ति ने एक मैरिज ब्यूरो भी खोला है जहाँ एचआईवी पोजिटिव लोगों की शादी के साथ यह भी सिखाते है की एचआईवी पोजिटिव होने के बाद भी कैसे सामान्य जैसा ही जीवन जिया जा सकता है.

हिन्दी ब्लॉग जगत की तरफ़ से स्वप्ना और राजशेखर को बहुत बधाई और सुखमय जीवन की शुभकामनाएँ.

19 comments:

  1. रचना गहरा प्रभाव छोडऩे में समर्थ हैं ।

    मैने अपने ब्लाग पर एक कविता लिखी है-रूप जगाए इच्छाएं । समय हो तो पढ़ें और कमेंट भी दें-
    http://drashokpriyaranjan.blogspot.com

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  2. दी..... आपकी इस पोस्ट ने आँखों में आँसू ले आया.... बहुत अच्छी लगी यह पोस्ट.......

    ब्लॉग जगत की और meri तरफ से भी...स्वप्ना और राजशेखर को बहुत बधाई और सुखमय जीवन की शुभकामनाएँ.

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  3. हम तो घबरा गये इस प्रेम क...........से,
    बहुत खूब

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  4. स्वप्ना और राजशेखर को बहुत बधाई और शुभकामनाएँ.

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  5. संवेदनशील रचना। बधाई।

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  6. बहुत सुन्दर। आपके माध्यम से यह कहानी पता चली। स्वप्ना और राजशेखर को मंगलकामनायें।

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  7. एक उदात्त प्रेम कथा !

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  8. मीनू जी, कहानी या सच्चाई निश्चित रूप से मार्मिक और अंत प्रोत्साहित करने वाली है, मगर एक पेंच भी है कहानी में ; स्वप्ना का पति गलत संबंधो की वजह से एड्स ग्रस्त था, जो प्रतिफल में स्वप्ना को मिला, यदि यही सिर्फ स्वप्ना का पति को छोड़ने का कारन रहा होगा तो फिर दूसरे एड्स ग्रस्त से शादी करने का फैसला भी बुद्दिमातापूर्ण नहीं है ! वह दूसरा व्यक्ति भी तो संभव है की गलत संबंधो के चलते ही एड्स ग्रस्त हुआ ! जब रहना एड्स ग्रस्त के साथ ही था तो पहले पति को छोड़ने का कारण सही नहीं लगता !

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  9. आपका सरोकार अच्छा लगा गोदियाल साहब. संक्षेप में लिखी गई इस कहानी में
    मुझे यह भी उल्लिखित करना चाहिए था कि पहले पति का सिर्फ चरित्र ही खराब नही था
    बल्कि नशा, जुआ, पीकर पत्नी को रोज़ पीटना जैसे दुर्गुण भी थे, HIV होने के काफ़ी
    समय बाद तक भी स्वप्ना अपने पति के साथ ही रहती थी और स्वयँ नौकरी कर के
    पति का भी पेट भरती थी.पर बदले में मिलती थी सिर्फ प्रताड़ना और तिरस्कार. तंग
    आकर स्वप्ना ने तलाक लिया.

    राजशेखर को एक ऑपरेशन के दौरान HIV हुआ. राजशेखर एक बहुत ही नेक व्यक्ति है.
    स्वयँ स्वप्ना का कहना है कि अगले जनम में भी उसे राजशेखर ही चाहिए.

    अब यह तथ्य कहानी में बढ़ा रही हूँ.

    आपकी सलाह के लिए धन्यवाद.

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  10. बेहतरीन ..भावुक कर देने वाली है यह ..शुक्रिया

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  11. बहुत सुन्दर संवेदनशील प्रेम कथा धन्यवाद और शुभकामनायें

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  12. ये सिर्फ लव स्टोरी नहीं उससे कहीं ज्यादा है ,मीनू की ये कहानी बताती है सूरज ढलता है तभी उसे पूरब मिलता है ,सूरज का ढलना अंत नहीं है |मेरा विश्वास है एच आई वी की वजह से हताश लोगों को ये कहानी जीवन जीने की प्रेरणा देगी ,नाको को ये कहानी हमने भेजी है ,स्वप्ना और राजशेखर के साथ मीनू दीदी की कलम को भी हमारी ढेर सारी शुभकामनायें |

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  13. वाकई एक नयी दिशा है इस कहानी में

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  14. कुछ तथ्य-संशोधन के बाद कहानी और भी प्रभावी हो गयी है । बेहतरीन प्रस्तुति । आभार ।

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  15. स्वप्ना और राजशेखर को मंगलकामनायें ... संवेदनशील और मार्मिक LIKHA HAI ....AAPNE CHORNE KE KAARAN BHI BATA DIYA TO AUR BHI ACHHAA LAGA PADH KAR ....

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  16. bahut achchha lagaa...... jeewan ka jaighosh.

    shubhkaamnaayen.
    anandkrishna, jabalpur
    mobile : 09425800818

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  17. आशा है यह सच्ची कहानी एचआईवी पाजिटिव लोगों के लिए प्रेरणा का काम करेगी।
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    सांसद/विधायक की बात की तनख्वाह लेते हैं?
    अंधविश्वास से जूझे बिना नारीवाद कैसे सफल होगा ?

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  18. बहुत ही मार्मिक है पढ़ के बहुत ही अच्छा लगा.......
    धन्यवाद् मैम

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