(दीपावली पर)
गीतू एक प्यारी बच्ची थी.
उसे दीवाली का त्योहार बहुत पसंद था.
फुलझड़ियाँ,रौशनी,दीपक,अच्छे कपड़े,मिठाई
गीतू को सब कुछ लेने का मन करता था
पर उसके पास पैसे नही थे.
उसने अपनी दादी से कहा,
मै भी अपना घर रंगीन झालर से सजाना चाहती हूँ
दादी ने कहा की हमारे पास पैसे नही हैं.
गीतू रोने लगी
उनकी बात एक परी सुन रही थी,
परी ने सपने में आकर
गीतू को ढेर सारे उपहार दिए
और उसका घर सुंदर झालरों से सजा दिया
गीतू खुश होकर ताली बजाने लगी.
यह कविता दुनिया की सभी परियों को सम्बोधित है!
सपनों और कहानी की दुनिया से निकल कर
कभी वास्तविक दुनिया में भी आइये
गीतू को उपहार दीजिए
उसका घर सचमुच में सजाइए.



बहुत सुंदर कविता....दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें...
ReplyDeleteसुंदर है जी.
ReplyDeleteप्यारी परी कथा।
ReplyDeleteप्यार हर दिल में पला करता है,
ReplyDeleteस्नेह गीतों में ढ़ला करता है,
रोशनी दुनिया को देने के लिए,
दीप हर रंग में जला करता है।
प्रकाशोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई!!
यानि हम सबको...दीपावली की ढेरों शुभकामनाएं
ReplyDeleteसुंदर भाव...दीवाली की शुभकामनाएँ...
ReplyDeleteसपनों और कहानी की दुनिया से निकल कर
ReplyDeleteकभी वास्तविक दुनिया में भी आइये
गीतू को उपहार दीजिए
उसका घर सचमुच में सजाइए.
behad achche bhaw.......
आपके यहाँ आकर अच्छा लगा।
ReplyDeletebahut badhiya likha hai ...badhai
ReplyDeleteअच्छा विचार ! लेकिन तब तक क्यूँ ना गीतु को यह सिखाया जाय की सपने देखो और उन्हें पूरा होने के लिए पारियों का इंतज़ार ना करो, खुद प्रयास करो। यही यथार्थ है।
ReplyDelete.
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नव संवत् का रवि नवल, दे स्नेहिल संस्पर्श !
पल प्रतिपल हो हर्षमय, पथ पथ पर उत्कर्ष !!
-राजेन्द्र स्वर्णकार
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*चैत्र नवरात्रि और नव संवत २०६९ की हार्दिक बधाई !*
*शुभकामनाएं !*
*मंगलकामनाएं !*
आपसे मिलकर अच्छा लगा |
ReplyDeleteकहाँ हैं मीनू जी ! साल होने को आये !
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