Saturday, January 08, 2011

ठंड : कुछ शब्द-चित्र

जनवरी







जनवरी -
नववर्ष
नूतन हर्ष
ठंड का उत्कर्ष
कोमल त्वचा पर शीतलहरी का स्पर्श
जलते अलाव
ठंड से संघर्ष
टूटते विश्वास
कम्बल की आस
कहीं जेब में गर्मी
कहीं पेट में जलती आग की गर्मी
विरोधाभासों का चरमोत्कर्ष.
दफ्तर,कुर्सियाँ,योजनाएँ
फाइलों में विमर्श
कुछ परामर्श
बहुत संघर्ष.
फिर भी
सहर्ष
शुभकामनाएँ
नूतन नववर्ष.



(2)

कुहासा



कुहासा-
कुछ वातावरण में
उससे ज्यादा सम्बन्धों में...
कोई रजाई, कम्बल ओढ़ कर भी न सो पाया
कोई
कुहासे की चादर तान कर
सारी रात
भरपूर सोया.

(3)


थरथराता सूर्य






ठिठुरती सुबह
कुहासे में छुपे
थरथराते सूर्य को
बर्फीले पानी का अर्घ्य,
बुदबुदाते होठों से
भाप बन कर निकलते मंत्र...

माचिस की तीली
भर आग
केतली में खौलती चाय ने
भरपूर ऊष्मा प्रदान की
हर एक को.


सूर्य
आलस छोड़ कर
आसमान में निकल आया,
धूप निकल आई
और
दिन जगमगाता रहा.

24 comments:

  1. बहुत ही सजीव सा शब्दचित्र खींचा है आपने.

    सादर

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  2. बाहर की ठंड मन में और साहित्य में उतर रही है।

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  3. बहुत सुन्दर सजीव चित्रण अभ्ल्व्यक्ति| आभार|

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  4. बहुत सुंदर चित्र... इस बच्चे को जो बोरी मे सो रहा हे देख कर थोडा अजीब लगा. धन्यवाद

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  5. वाकई शब्दों में बेहतरीन चित्रण किया है आपने. शुभकामनाएँ.

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  6. बहुत ही लाजवाब ... हर रचना अपने आप में सम्पूर्ण ... शब्दों से जादूगरी की है आपने ...

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  7. मीनू जी, ठंड पहले से ही गजब की थी, आपके शब्‍द चित्रों ने उसके एहसासस को और गहरा दिया है।

    ---------
    पति को वश में करने का उपाय।

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  8. @राज भाटिया जी
    मुझे भी वो फोटो बहुत कारुणिक लग रही थी अत: मैंने उसे हटा दिया.

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  9. मीनू जी ,
    पहले तो आपकी मुस्कराहट देख दिल बाग़ बाग़ हो जाता है ...
    उस पर ठिठुरती कुहासे भरी सर्दी को सूर्य की गर्मी देती आपकी बेहतरीन कवितायेँ ....
    बहुत सुंदर ....
    आपको भी शुभकामनाएं ....!!

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  10. बहुत सुंदर. नव वर्ष की शुभकामनाएँ.
    घुघूती बासूती

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  11. "दूसरे" का दर्द कौन समझना चाहता है ?
    शुभकामनायें !

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  12. हर क्षणिका सुन्दर और सजीव . नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाये .

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  13. बहुत ही सुन्‍दर एवं सजीव चित्रण ...।

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  14. सूरज का चश्मा उतर दीजिये मीनू जी ..बहुत ठंढ है ! सुंदर कविता के लिए धन्यवाद ! नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं !

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  15. meenu ji
    sarvpratham nav-varsh ki hardik shubh kamna.
    kya gazab ki kavita likhi hai aapne man bar bar padhne ko karta hai .vastav m aapne nav varshh par bilkul sahi shabd chitr keencha hai.isse rubaru karane se behtar aur kya tohfa ho sakta hai.
    dhanyvaad sahit ====
    poonam

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  16. Very Interesting

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  17. मीनू जी, ठंड बहुत है, लेकिन फिरभी रिक्‍वेस्‍ट है कि इस शमा को जलाए रखें।

    ---------
    डा0 अरविंद मिश्र: एक व्‍यक्ति, एक आंदोलन।
    एक फोन और सारी समस्‍याओं से मुक्ति।

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  18. ऊष्मित करती कवितायें और शब्द चित्र ऐसे की ठंड को भी लग जाए ठंड -मतलब गायब ..
    जठराग्नि का उल्लेख तो किया मगर जाड़े में अंतराग्नि का जिक्र तक न हुआ? :)

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  19. आदरणीय मीनू खरे जी
    नमस्कार !
    शब्दों में बेहतरीन चित्रण किया है
    यथार्थमय सुन्दर पोस्ट
    कविता के साथ चित्र भी बहुत सुन्दर लगाया है.

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  20. हर रचना बहुत सुन्दर और सजीव सी लगी
    चित्र भी बहुत सुन्दर हैं


    आभार
    शुभ कामनाएं

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  21. बेहतरीन एवं प्रशंसनीय प्रस्तुति ।

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  22. Sunder abhivyakti
    http://amrendra-shukla.blogspot.com/

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धन्यवाद आपकी टिप्पणियों का...आगे भी हमें इंतज़ार रहेगा ...