Thursday, July 29, 2010

मॉनसून






कल तक नम थीं सिर्फ आँखें
आज दिल भी नम है.
कोई मॉनसून आ पहुंचा है मुझ तक
शायद तुम से टकराने के बाद ....

16 comments:

  1. अबकी सावन बरसे ना बरसे
    लेकिन बारिश लम्बी होगी
    मेरी आँखों के बादल से
    तुम भी कही भीगती होगी

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  2. क्या कहने ..... दीदी.........बहुत खूब !!

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  3. चार पंक्तियों की यह कविता बरसात के द्वारा फैलाई गई नमी मत्र नहीं है बल्कि कंक्रीट युग के बरक्स पूरी एक संस्कृति इस कविता में दृश्यमान हो उठी है।

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  4. हमी ने बनाए बादल ,और लगाई गुहार ,ऐसी भी क्या बेकरारी ? जरा सी प्यास ही तो है !!!

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  5. वाह ! बहुत सुन्दर पंक्तियाँ हैं..."कोई मानसून आ पहुँचा है अब तक, शायद तुम से टकराने के बाद..."

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  6. नमी की क्यों, झकाझूम बारिश की बात कीजिए।

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  7. मीनू खरे जी
    नमस्कार !
    विविध रस रंग से सुसज्जित आपका ब्लॉग बहुत पसंद आया ।
    … और कविता ?
    कल तक नम थीं सिर्फ आंखें
    आज दिल भी नम है.
    कोई मॉनसून आ पहुंचा है
    शायद तुम से टकराने के बाद …

    मीनूजी ,
    इस छोटी सी रचना में कितने भाव भर कर भावविभोर कर दिया आपने !
    हार्दिक बधाई स्वीकार करें , कृपया !

    शस्वरं पर भी आपका हार्दिक स्वागत है , अवश्य आइएगा …

    - राजेन्द्र स्वर्णकार
    शस्वरं

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  8. ‘तस्लीम’ के आँदोलन में सहभागिता के लिए आभार।

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  9. meenu ji bahut khoob .is choti si kavita me man ki puri baat kah dali.
    poonam

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  10. वाह...आपने तो विरह की पीड़ा जैसे शब्दों में उकेर दी है.

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  11. कल तक नम थीं सिर्फ आँखें
    आज दिल भी नम है.
    कोई मॉनसून आ पहुंचा है मुझ तक
    शायद तुम से टकराने के बाद ....
    meenu ji..jawab nahi aapka..its amazing..:)

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  12. कितने कितने अर्थों में मानसून !
    बहुत सुंदर !

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  13. bahut hi khoobsuat lines likhi hai aapne..

    Meri Nayi Kavita par aapke Comments ka intzar rahega.....

    A Silent Silence : Naani ki sunaai wo kahani..

    Banned Area News : Pak will overcome flood crisis: Clinton

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