कमाल की पंक्तियाँ है ... बरबस ये गीत याद आ गया ..."हम लाए हैं तूफान से कश्ती निकल के ... इस देश को ...." कई कई बार ऐसा होता है इंसान बड़ी से बड़ी बात, बड़े से बड़ा घाव सह जाता है, पर कोई छोटी सी बात गहरी चुभ जाती है ... बहुत अच्छा लिखा है मीनू जी ...
बहुत ही बढ़िया अभिव्यक्ति ...
ReplyDeleteआग जब नजदीक हो, तो ज्यादा जलाती है...पर तीलियों की उम्र हीं कितनी होती है... जरा सब्र किया जाए
ReplyDeleteदी.... बहुत ही गहरी बात लिए हुए...यह रचना .... बहुत सुंदर लगी...
ReplyDeleteथोड़े महँ जानिहहिं सयाने ।
ReplyDeleteबुद्धिमान लोग थोड़े ही में समझ लेंगे ।
बहुत खूब !!! सुन्दर रचना !!! थोड़े से शब्दों में बड़ी बात .
ReplyDeleteबहुत खूब , रचना छोटी परन्तु बहुत कहती ।
ReplyDeleteइरादे ही घर जलाते है वर्ना तो माचिस की तीली ही चूल्हा भी जलाते हैं
ReplyDeleteबहुत सुंदर ..थोड़े में बड़ी बात कही आपने! अति सुंदर
ReplyDeleteक्या बात है, बेहतरीन!
ReplyDeleteबहुत कुछ कह डाला इतने में ही बधाई
ReplyDeleteवाह ! मीनू जी !बहुत गहरा तार छेड़ दिया आपने !अत्यंत सार्थक पंक्तियाँ ! बधाई !
ReplyDeleteथोड़े से शब्दों में बड़ी बात.
ReplyDeleteकमाल की पंक्तियाँ है ... बरबस ये गीत याद आ गया ..."हम लाए हैं तूफान से कश्ती निकल के ... इस देश को ...."
ReplyDeleteकई कई बार ऐसा होता है इंसान बड़ी से बड़ी बात, बड़े से बड़ा घाव सह जाता है, पर कोई छोटी सी बात गहरी चुभ जाती है ... बहुत अच्छा लिखा है मीनू जी ...
bahut hi khubsurat poem....
ReplyDeleteवाह यह हुई न बात...
ReplyDeleteपांच लाइनों में सागर
आप और आपके परिवार को होली की शुभकामनाएँ...
ReplyDeleteMeenu ji aapko va aapke pareevaar ko holi ki hardik shubhkamna.
ReplyDeletemachis se aashiyane nahi diye jalaye jate hai . ashiyano ko to nafrat bhari ek nazar hi kafi hai.
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